थारी धजा उडती धाम

तर्ज- थारी धजा उडती धाम
मन करे यो रंग हजार, मन यो बहुरंगी,
थूँ रीज्ये घणो हुँस्यार, मन यो बहुरंगी॥
यो कदीक बेचे ओडलो, यो कदीक लेवे घोटलो,

बरसी रे बरसी बरका

तर्ज – बरसी रे बरसी बरका
मरसी वा मरसी नानी मरसी, भाग्याई मने सरसी,
मारो भगत बो करे छे विलाप, हे भोळो नरसी॥ ओ. म…॥
राधा रुकमण गाटी बेटो, होले होले हालरिया,

अंगुळी पकड़ मेरा कूँचा रे

तर्ज- अंगुळी पकड़ मेरा कूँचा रे
पला पकड़ ने अंगुळी पकड़ी, कूँचा पकड़ कर मोड़ दिया,
ओ मेया तोरे काना ने गागर हमारा फोड़ दिया, नत का मोती तोड़ दिया ॥

थाने देक-देक हिवड़ा

तर्ज - थाने देक-देक हिवड़ा
हट ना पकड़ो अरी गोरजा मानो मारी बात री,
थाँने परणबा आवेलो ओगड़ियो भोळानाथ री।
होकर नंदिया पे असवार, सिर पे साँपों का सिणगार,

बरसी रे बरसी बरका

तर्ज – बरसी रे बरसी बरका
छळके रे छळके छेली छळके छोगाळा माथे छळके,
पेचे तुर्रे हे तार हजार, मूंगा मोती मळके॥ छळके………॥
रंग रंगीलो चटा पटा रो बागो गेर घूमाळो,

जब आवेलो बलम बेरी

तर्ज- जब आवेलो बलम बेरी
थारे जोड़ाँ-जोड़ाँ हात, मारा परथी रा नाथ,
मारा द्वारका रा नाथ, धीरे-धीरे हाको थोड़ी रथड़ी ने ॥
गेले-गेले गडरी में हाको मारा साँवरा,

मति कर मन अन धन रो गुमान

तर्ज-मति कर मन अन धन रो गुमान
पीवजी पदारत मारे परबारे देस, चूंदड़ ओडाई रे मूंगा मोला री।
हीरा रा हजारी मारा लाकाँ रा लेवाळ, चूंदड़ ओडाई रे मूंगा मोला री॥