तर्ज – बरसी रे बरसी बरका
मरसी वा मरसी नानी मरसी, भाग्याई मने सरसी,
मारो भगत बो करे छे विलाप, हे भोळो नरसी॥ ओ. म…॥
राधा रुकमण गाटी बेटो, होले होले हालरिया,
ओर मायरा ठाणे पूगा, आप गेले चालरिया,
जाय पुगालाँ बगत उपरे, बाई हरसी ॥ ओर मायरा…………॥1॥
अगर बगत पर नहीं पुगालाँ, उठ जावसी पेठ,
नानी बाई ने मोसा बोले सासू देवर जेठ,
बीरा जी री बाट जोवताँ, नानी तरसी ॥ ओ. म………॥2॥
भगत हमारा आज अकेला, साधाँ री बेगार,
ठीक दोपेराँ पूगणो सुण राधा रुकमण नार,
भगताँ का हराप बेड़ा कानो डरसी ॥ ओ. म…………॥3॥
मारो घणो भरोसो वींने मारे सांवरियो आसी,
राधा रुकमण संग लेयने अटे मायरियो लासी,
हे "भेरया" भगताँ भीड़ भगत भरसी ॥ ओ. म………॥4॥