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मेंवाड़ी भासा में कावताँ 51-100

1.    धोबी को कुत्‍तो ने घरको अन ने घाट को।
अर्थ– दोनों तरफ से आदमी किसी काम का नहीं होना।
2.    मनकी का केबाऊँ छींको ने टूटे।
अर्थ– बुरे आदमी के सोचने से बुरा नहीं होता है।

मेंवाड़ी भासा में कावताँ 1-50

1.    राबड़ी केवे, मने बी दाँताऊँ खावो।
अर्थ– छोटा आदमी, बड़ी बात।
2.    काल करे जो आज कर, आज करे जो अब, पल में परले होई फेर करेला कब।
अर्थ–  कार्य को समय रहते कर लेना चाहिये।