तर्ज- अंगुळी पकड़ मेरा कूँचा रे
पला पकड़ ने अंगुळी पकड़ी, कूँचा पकड़ कर मोड़ दिया,
ओ मेया तोरे काना ने गागर हमारा फोड़ दिया, नत का मोती तोड़ दिया ॥
पाणीड़ो हम लेने जावें पनघट माते यो आवे,
ले गोळ-गोळ कांकरी मारे फोड़ मटकियाँ दुरकावे,
हम पकड़े तो हात नी आवे, एसा भागे दोड़ दिया ॥ ओ मेया………॥1॥
जमुना जी में नावाँ जावे, छाने- छाने वो आवे,
साड़ी चोली चीर चोरने, लेय कदम पर यह जावे,
मरे सरम की मारी जळ में, बीण बजा मुख मोड़ लियो ॥ ओ मेया …॥2॥
माकन दहिया बेंचन जावे, गोकुळ से मथूरा नगरी,
धेनू चरातो मारग रोके, लपट रपट जपटे गगरी,
ग्वाळ बाळ ने दही लुटावे, थर-थर ने हबोड़ लिया ॥ ओ मेया……॥3॥
तन सुख मन सुख प्रेम सखा ओर सुदामा को संग लाए,
छाने-छाने घुस जा घर में माकन दहिया खा जावे,
कई बार हमने पकड़ा पर बातें सुण-सुण छोड़ दिया॥ ओ मेया ……………॥4॥
तूँ हे भात भरे मत भेया, नंद मोर का नटवरिया,
बड़ा चोर चालाक कन्हेया छळिया पूरा नटखटिया,
"भेरव" सुन भगवत की लीला चरण कमल चित जोड़ दिया॥ ओ मेया……॥5॥