तर्ज - थाने देक-देक हिवड़ा
हट ना पकड़ो अरी गोरजा मानो मारी बात री,
थाँने परणबा आवेलो ओगड़ियो भोळानाथ री।
होकर नंदिया पे असवार, सिर पे साँपों का सिणगार,
जान्या भार भूतड़ा लार, आसी साथ री ॥ थाँने…………॥
थूँ ओडे साल सुरंगी, वो रमे अंग राकोड़ी,
थूँ तो केसर की क्यारी, वो बाबो अलख अगोरी,
जोड़ी ऊँट बळद की बाया, थारी कंचन बरणी काया,
ना वर तेरे मन चाया, हे ओकात री ॥ थाने……………॥1॥
थूँ महल पळी सुकुमारी, वो बाबोजी वनखंडी,
बेरान करे वो बासा, नहीं रहने की हे मंडी,
गळ नर मुण्डन की माळा, तन नाग भुजंगी काळा,
ओड बागाम्बर छाला, मसाणा रात री ॥ थाँने…………॥2॥
आक धतूरा संख्या खावे, अमल्यारी गांगड़ली,
वो हरियाळा बागाँ री नत पीवे हे भांगड़ली,
वो धुप्या रोज धकावे, बण जोगी अलक जगावे,
थारी मातड़ळी समजावे, मेंना मातरी ॥ थाँने…………॥3॥
माँ में तो उनकी दासी हूँ जनम-जनम अनुरागी,
बोली यूँ गिरजा माँ से हे "भेरव" वा बड़भागी,
मेरा शिव भोळा भरतार, मारो सिंदुरी सणगार,
मारा हिवड़ा बचला हार, जोड़ूँ हात री ॥ थाँने…………॥4॥