तर्ज-मति कर मन अन धन रो गुमान
पीवजी पदारत मारे परबारे देस, चूंदड़ ओडाई रे मूंगा मोला री।
हीरा रा हजारी मारा लाकाँ रा लेवाळ, चूंदड़ ओडाई रे मूंगा मोला री॥
रती की न पाव की न सेर की रे नाथ,
अजब अनोकी अणतोला री॥ चूंदड़………॥1॥
लाखीणी लाला की रे लूम्बक किनार,
जड़ाई सांचा रे मोती धोळा री॥ चूंदड़………॥2॥
चारों ही पल्ला पे मण्ड्या पदारत च्यार,
मज में सारंगी, मीठा बोला री॥ चूंदड़………॥3॥
चूंदड़ ओडन वेगी पीया जी की लार,
कुसंग छूटी रे पाँचोई गोला री॥ चूंदड़………॥4॥
छाने न भागी रे मूँ तो चोड़े ना चाली रे,
"भेरव” चाली रे बाजताँ ढोलाँ री॥ चूंदड़………॥5