तर्ज – बरसी रे बरसी बरका
छळके रे छळके छेली छळके छोगाळा माथे छळके,
पेचे तुर्रे हे तार हजार, मूंगा मोती मळके॥ छळके………॥
रंग रंगीलो चटा पटा रो बागो गेर घूमाळो,
जरकस उपर जड़्‍या जड़ाव लप्यो लेर लुमाळो,
काना कुण्डळ जीणा जीणा जेला जळके ॥ छळके………॥1॥
कंटी डोरा गोप गळा में हिये हीराँ का हार,
संक चकर कर गदा पदम हे, रूप चतुर्भुज धार,
कमर कटारो तलवाराँ वे ढालाँ ढळके ॥ छळके…………॥2॥
डाडी माही हीरो दमके भाळ तिलक हे चंदण,
पीताम्बरिया उडे दुपट्टो लटके लाला लड़ीयन,
हे "भेरया" हाताँ में भँवरयो भालो भळके ॥ छळके………॥3॥