धन बाबाजी रे
तर्ज-धन बाबाजी रे
भम्म भोळा रे बाबा भम्म भम्म भोळा रे ॥
जाड़्या जरणा पहाड़ाँ माही रहे सदा सिव भोळा,
सोवे निरंजन समसाणा में, संग भूतन का टोळा रे ॥ भम्म�॥1॥
- ओरी भणो
- खोलो सुझाव नाको
तर्ज-धन बाबाजी रे
भम्म भोळा रे बाबा भम्म भम्म भोळा रे ॥
जाड़्या जरणा पहाड़ाँ माही रहे सदा सिव भोळा,
सोवे निरंजन समसाणा में, संग भूतन का टोळा रे ॥ भम्म�॥1॥
तर्ज–धन धन रामा पीर लजिया
समरथ सतगरू आप सरणे राकज्यो, पल - पल सिमरूँ जाप, सरणे राकज्यो ॥
सत साहेब हे मारे सहाई, भव सागर में ओर हे नाही,
तर्ज–धन बाबाजी धन बाबाजी रे
शनि बाबा जी शनि बाबा जी रे ॥
चाँद ने लाग सूरज ने लागा, लागा नो लख तारा,
सालूँ साल में गरेण गळ्यो घर ससिया भाण दवार रे ॥1॥
तर्ज-कोई रोकिया कोई रोकिया रामापीर ने
भई भलजा गुल मिलजा सतगरू समंद में जी रे,
भई सतगरू समदर रे, मारा समंदिया जी रे,
थूँ हे बरबड़ियो बूंद रे ॥ भई
तर्ज- धूप रे धूँवाडे बेगा आवज्यो
धूकाँ धूप रे धूँवाडे़ बेगा आवज्यो,
जोवे - जोवे जातरी बाट रे, दुखिया रा दाता ॥ धूकाँ.
अन्दाता नंगारे डाको लागे रावळे,
तर्ज धूप रे धूँवाड़े
हालाँ-हालाँ गुराजी रा देस में, अगम भोमा में उगा भाणरे आँतम उजाळा,
चालाँ-चालाँ हीरा रा देस में॥
नज नेम रे नंगाड़े डाको लागियो,
तर्ज-रामदेव परणावे थें परणो भाटी हरजी
रामजी बुलावे थें आवो बाला वीर जी।।
सिवा इस्ट रो मंतर बावणियो, घोर निद्रा में लेग्यो अहिरावणियो,
तर्ज–रावण मर्यो रे लंका में राजा
थोड़ो जग में जीणो काळजो धड़क-धड़क धड़के,
दरसण दे दिज्यो कल्याण माने पेर के तड़के॥
नाम सुणता कँवर कल्ला को दुसमण बी धड़के,
तर्ज-दूधा रे रंग धन पूताँ ने रंग
हरिया के चढे हाके, हेले आवे दोड़, धन-धन कल्याण रंग कल्ला राठोड़॥
हेलो दियो रे थाँने मेवाड़ी राणा,
तर्ज-धन धन रामा पीर ने
बाला बजरंगी वीर रे लजिया राकज्यो ॥
हार्या का सुण आज्यो हेला, करत हाक हनुमंत हटीला,
आयने भगाज्यो भीड़ रे ॥ लजिया..॥1॥
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