तर्ज-कोई रोकिया कोई रोकिया रामापीर ने
भई भलजा गुल मिलजा सतगरू समंद में जी रे,
भई सतगरू समदर रे, मारा समंदिया जी रे,
थूँ हे बरबड़ियो बूंद रे ॥ भई
भई सतगरू साहब रे जीणा पवनिया जी रे,
यूँ भरम भू भूल्यो गोट रे ॥ भई॥1॥
भई सतगरू हे सब सब लिया, धरण धराजी रे,
थूँ हे काँकरियो कणियो रे ॥ भई॥2॥
भई सतगरू सूरज हे कोटी किरणिया जी रे,
थूँ असंख्य मूँ इक किरण रे ॥ भई॥3॥
भई सतगरू नंद्याँ का जळ ज्यूँ निरमळ रे,
थूँ नाडा रे वाळो नीर रे ॥ भई॥4॥
भो भटक्या मेंट्या रे सतगरू भेटिया जी रे,
"भेरया तोड़ी भरम की भींत रे ॥ भई॥5॥