मेवाड़ रास्तान के उगेणी अन लंकऊ दसा का बचमें राजा माराजा की रियासत ही। इने उदेपुर राज्य का नाम ऊँ बी जाणी जावे। अणी रियासत में आज का भारत को उदेपुर, चित्तोड़गढ़, भीलवाड़ो अन राजसमन्द जिला हा। पुराणा जमानाऊँ अटे राजपूत राजावाँ को राज र्यो अन अणी रियासत पे गहलोत अन सिसोदिया वंस का राजा 1200 सालाँ तक राज किदो। पचे अणी राज ने अंगरेज चलाबा लागग्या।

1550 के अड़े-भड़े मेवाड़ की राजधानी चित्तोड़ ही। माराणा परताप अटाकईस राजा हा। अकबर के भारत ने जीतबा का बाते मेवाड़ का माराणा परताप रोड़ो अटकार्या हा। अकबर मेवाड़ में सन् 1576 ऊँ 1586 तक पूरा दल बल का हाते मेवाड़ पे कई हमला किदा हा, पण वाँको माराणा परताप ने वस में करबा को मंसूबो कदी पूरो ने कर सक्यो हो। खुद अकबर माराणा परताप की देस-भगती अन दिलेरीऊँ अतरो राजी व्यो के माराणा परताप के मरबा की खबर हूणन विंकी आँक्याँ में आँसू आग्या हा। अन वो बी मानग्यो के जीत माराणा परताप की वी ही। या एक इतिहास की हाँची बात हे के देस की आजादी की लड़ई में माराणा परताप जस्या देस परेम्याँ का जमाराऊँ अकल लेन घणा हारा देस-भगत हँसता-हँसता बलिदान वेग्या हा। माराणा परताप की मोत का केड़े वाँको बेटो अमरसिंह मुगल बास्या जहाँगीर मूँ दोस्ती कर लिदी ही। वणा वाँका मोटका बेटा ने मुगल दरबार में खंदाबा का बाते त्यार वेग्या हा। अस्यान 100 सालाँ का केड़े मेवाड़ की आजादी को बी अंत वेग्यो हो। 

मेवाड़ की बसावट
मेवाड़ की धरऊ वाळी दसा में मेदानी इलाको हे। बनास अन विंकी हण्डाळी नंद्‍याँ की मेदान वाळी जगाँ हे। चम्बल नंदी बी मेवाड़ में वेन निकळे हे। वरका को स्तर अटे 660 मिमी/सालाना हे अन उगाणी दसा अन धरऊ दसा में अणिमूँ बी हेलो हे। 10 % वरका जून ऊँ सितम्बर मीना का बचमें वेवे।

मेवाड़ की राजधान्याँ अन राज-काज का काम
मेवाड़ छोकळा का बदलता हिमाड़ा के जस्यान अटाकी राजधान्याँ बी टेमूँ-टेम बदलती री ही। इतिहास में ठावो चित्तोड़ का कल्ला के उत्तर में 1.5 मील छेटी “नगरी” नाम की जगाँ पे भिबि – जनपद की राजधानी ही। जिने आज की टेम में मंधिमिका का नाम ऊँ जाणी जावे हे। जनपद के उजड़बा का केड़े 7 वीं सताब्दी तक को कई परमाण ने वेबा का कारणऊँ कई परमाण ने मले। पण बप्पा रावळ का राज का टेमूँई 13 वी सताब्दी के सरुआत तक एकलिंग, देलवाड़ा, नागद्राह, चीखा अन अघाटपुर (आयड़) मेवाड़ की राजधानी अन राज-काज का केन्द्र रे चुक्या हा।

रावळ जैतसिंह (1213-1350 ई.) का टेमुई अटाकी राजधानी नागद्राह (नागदा) ही, ज्यो सुल्तान इल्तुतमिस का हमलाऊँ तेस-नेस वेगी ही। पचे रावळ जैतसिंह ने अघाटपुर में आपणी नवी राजधानी बसई अन विकास को काम किदो। विंको बेटो रावळ तेजसिंह (1250-1273 ई.) जापता की नजरऊँ देकता तका चित्तोड़ में आपणी राजधानी बणई। सुल्तान अलाउद्दीन के चितोड़ में हमला की टेम मेवाड़ की राजधानी चितोड़ ईस ही। 14-15 वी सदी तक चिततोड़ अन कुम्भलगढ मेवाड़ की राजधानी र्या हा। राणा कुम्भा (1433-1468 ई.) कुम्भलगढ़ अन राणा सांगा (1509-1528 ई.) चितोड़गढ ने आपणी राजधानी बणई। माराणा परताप (1572-1597 ई.) अन वाँको बेटो राणा अमरसिंह पेला (1597-1620 ई.) मेवाड़ में मुसलमाना की लड़ई की टेम में गोगून्दा अन चावण्ड नाम की जगाँ पे राजधान्याँ बणई।
माराणा उदेसिंह (1540-1572 ई.) पीछोली नाम का गाम ने आपणी राजधानी बणई। पीछोली गाम ईस 17 वीं सताब्दी के पेल्याँई उदेपुर नामऊँ ठावो वेग्यो हो। माराणा कर्णसिंह (1620-1628 ई.) के केड़े उदेपुर ईस मेवाड़ की राजधानी र्यो हो जटा तक माराणा भूपालसिंह 18 अपरेल 1948 ई. में भारत में भेळी ने मला नाकी।

मेवाड़ का तीरत
मेवाड़ का ठावा अन जान्या-मान्या तीरताँ में साँवराजी को मन्दर (मण्डपिया), मातरीकुण्डियाँ (मेवाड़ को हरीद्वार), सनिमाराज (आली, कपासन), आवरी माताजी, जगदीस मन्दर अन एकलिंग जी (उदेपुर), नागदा, श्री नाथजी (नाथद्वारा), द्वारिकाधीस (काँकरोली), चारभुजा, रूपनाराण, कुम्भलगढ, जावर माता, ऋषभदेव (केसरियाजी), जोगणिया माता (बेगूँ), लाला फुलाँ (पुठोली), झाँतळा माता (कपासन), काळका माता (चित्तौड़गढ़), सीतामाता (धरियावद), भदेसर भेरुँजी, कृष्णधाम (मुंगाणा कपासन), ख्वाजा दिवानाशाह दरगा (कपासन) ओरी घणा हारा तीरत हे।

मेवाड़ में रेबा वाळा मनकाँ का हदँई का काम
गामड़ा गामाँ में हदँई का जमारा में हेराँ पेली 3 बज्याऊँ चालू वे जातो हो। हदँईं का काम “निपटबा” का काम मूँ निवरत वेन लुगायाँ गट्टी में आटो पीसबा लाग जाती ही। हदँई काम में लेवे वणी हस्याबऊँ एक-दो हेर धान पीस नाकती ही। ईंका केड़े कुड़ा पूँ पाणी गेंचन लाती ही। दूजी दीने करसाण मनक भाग फाट्याँ का ऊटन हळ-सड़, बळद अन ढाण्डा-ढोराँ ने लेन खेताँ में परा जाता हा। आकुई दन काम करता हा अन हाँज को 6-7 बज्याँ घरे आता हा। लुगायाँ हेराँ पेली का काम निपटान मनकाँ का हाते काम करबा खेताँ में परी जाती ही। हाते दोपेरी की रोट्याँ बी लारे लेती जाती ही। रोट्याँ में राबड़ी, खाटी छा, गवाँ की रोटी कन मक्‍की की रोटी अन बाँटी तकी मरच्याँ अन साग भाजी लेन जाती ही। भूडी लुगायाँ  घरे फोरा बाळकाँ की देक-रेक करती ही। छोरा-छाबरा मोटा व्याँ केड़े ढाण्डा चरावा को काम करता हा। हाँजका करसाण ढाण्डा-ढोराँ के चारो बी हाते लेन आता हा। हव खेती करबा का बाते खेताँ में पाणत करबा का बाते मनक रात में बी कूड़े-काँकड़ खेताँ में रेता हा। अस्यानीस हाक-बाड़ी पाकबा का मोका पे खेताँ में हुड़ा ताड़बा का बाते खेताँ में डागळो बणान रेता हा। खळा की नंगे राकबा का बाते मनक रात में खेताँ में रेता हा। हाक-बाड़ी काटबा की टेम पे हारई मनक काटबा परा जाता हा।
अस्यानीस बोपार करबा वाळी जात्याँ आकुई दन दुकानाँ पे बिताता हा। बोपारी लोग दुकाना पेइस दन में रोटो खाता हा, हाँज को घरे आन ब्याळू करन मनक हतई करता हा, खेलता हा, किस्सा-केणी केता हा, हँसी-ठोळी करता हा, भजन-कीरतन करता हा, गाम में कई वेर्यो कई ने वेर्यो अणिकी बाताँ करता हा। हिंयाळा में मनक धूणी लगान मोड़ा हूदी बेटा रेता अन बाताँ करता हा।
गामड़ा में अन सेराँ का जमारा में वस्यान तो सेराँ में मनक गामड़ा का जमाराऊँ डेळ ने रेता हा। पण मनक रिप्या वाळा वेता वे भूँई को खेल, मुजरो हुणणो, राज-दरबार्यां का काम करबा में, भजन-कीरतन अन राजा माराजा की आतरा करबा में रेता हा। मनक गोट खाता, अमल तमाकू, गांजा भांग, दारू पीता हा यो मनकाँ के हदँई को काम हो।

मेवाड़ी
अणी इलाका में मेवाड़ी बोले हे ज्यो अटाका मनक आपणा हदईं का काम–काज में बोले अन पुराणा जमाना में राज–काज को काम बी मेवाड़ी में वेतो हो।

मेवाड़ का खास तेवार
मेवाड़ में वस्यान तो रीति रेवाज का हस्याबऊँ हदँई तेवार का रूप में मनावे हे। पण खास तेवाराँ में दिवाळी, होळी, राकी, दसामाता, हीतळा माता पूजा, गणगोर, राम नोमी, नोरताँ, मा सवरात, ईद, बारावपात, करिसमस, जेन तेवार ये सब घणी धूम–धाम ऊँ मनावे।

रिप्या-कोडी को चलण
रास्तान में दूजी रियासताँ का जस्यान मेवाड़ राज्य का बी सिक्‍का चलण में हा, पण जमारा को हारोई लेण-देण सिक्‍काऊँइस ने वेतो हो। दो रियासताँ का बचमें बोपार करबा के बाते सिक्‍का को चलण बना रोक-टोक वेतो हो, पण लारे-लारे जरूत के जस्यान घणी हारी काम में आबा वाळी चीजाँ को बी बोपार वेतो हो। राज-काज को काम करवा वाळा करमचार्यां की तनका में खेती करबा का बाते जइगाँ, गाबा-सींतरा, हिरा मोती अस्यान की घणी हारी चीजाँ देता हा। छोकळा में बोपार करबा का बाते 19 वी सताब्दी के खतम वेबा तक तो कोड्याँ को चलण बी हो। कोड्याँ मूँ जुड़ी तकी गणती में अस्यान केता हा—
20 भाग = 1 कोडी
20 कोडी = आदो दाम
2 आदा दाम = 1 रिप्यो
सर जॉन माल्कन का हस्याबूँ
4 कोडी = 1 गण्डो
3 गण्डा = 1 दमड़ी
2 दमड़ी = 1 छदाम 
18 वी सताब्दी के पेल्याँ अटे मुसळमानाँ का राजावाँ का नाम वाळा सिक्‍का “एलची” को चलण हो, पण ओरंगजेब का राज का केड़े मुसळमाना को राज खतम व्याँ केड़े दूजी रियासताँ का जस्यान मेवाड़ रियासत का सिक्‍का बी बणबो चालू वेग्या हा। 1774 ई. में मेवाड़ के उदेपुर में एक ओरी “टकसाल” रिप्या छापबा की मसीन लगई ही। अस्यानीस भीलवाड़ा में रिप्या छापबा की मसीन 17 वी सताब्दी के पेल्याऊँ बी उटे “भीलवाड़ी सिक्‍का” छपता हा। याँका केड़े चित्तोड़, उदेपुर अन भीलवाड़ा तीनी जगाँ की रिप्या छापबा की मसीना “टकसालाँ” में साह आलम (दूसरा) का नाम खुद्‍यो तको रेतो हो। पचे ये “आलमसाही” सिक्‍का का नामूँ ठावा हा। माराणा सांगा का राज में सिक्‍का की जगाँ कम चांदी का बण्या तका मेवाड़ी सिक्‍का की सरुआती चलण सरू व्यो हो। ये सिक्‍का “चित्तोड़ी सिक्‍का” अन “उदेपुरी सिक्‍का” का नाम मूँ ठावा हा। आलम साही सिक्‍का की कीमत हेली ही। 
100 आलम साही सिक्‍का = 125 चित्तोड़ी सिक्‍का
उदेपुरी सिक्‍का को मोल चित्तोड़ी सिक्‍का ऊँ बी कम हो। मेवाड़ में मीलो कळेस, काळ पड़बाऊँ अन मराटी मनकाऊँ जगाँ पे कबजो करबाऊँ माराणा अरिसिंह का राज में चांदी की पेदावार कम वेगी अन बारलो सामान आबो कम वेग्यो हो। वणी अबकी टेम में मेवाड़ का खजाना की चांदी मूँ रिप्या बणाया हा ज्याँने अरसीसाही सिक्‍का का नाम ऊँ जाण्या जाता हा। अन याँको मोल हो–
1 अरसी साही सिक्‍को= 1 चित्तोड़ी सिक्‍को= 1 रिप्यो 4 आना 3 पिया हो
माराणा भीम सिंह का राज में मराटा वाँकी बाक्यात लेण-देण को मोल धाम्या सालम साही सिक्‍का का आदार मूँ करबा लागग्या हा। याँको मोल हो–
1 सालम साही रिप्यो = चितोड़ी 1 रिप्यो 8 आना हो।
अबकई की टेम ने निकाळबा का बाते सालमसाही सिक्‍का के मोल के बराबर वाळा सिक्‍का चलण में आया, ज्याँने “चांदोड़ी सिक्‍का” का नाम मूँ जाणता हा। ये हारई सिक्‍का चाँदी, ताम्बो, अन दूजी धातू ने मपतीऊँ भेळी मलान बणाता हा। अणामें ताम्बाऊँ हेलो चांदी को भेळ वेतो हो। 
अणा सिक्‍का का सवाय “तरसूळ्या सिक्‍का” “ढींगला” अन “भीलाड़ी” ताम्बा का सिक्‍का बी चालता हा। 1805 – 1870 का बचमें सलूम्बर जागिरी का ठाकर “पदमसाही ढींगला” चलाया हा, अस्यानीस भीण्डर जागिरी में माराजा जोरावरसिंह जी “भीण्डरिया सिक्‍का” चलाया हा। अणा रिप्या को मोल उटे जगाँ-जमी मोल लेबा मेंइस काम में लेता हा। मराटी मनक जगाँ खोसबा लागा वणी दाण मेहतो परदान हो जणी “मेहतासाही” सिक्‍का चलाया हा ज्यो घणा कम मलता हा।
माराणा सरूप सिंग जी वेग्यानिक सिक्‍का चलाबा की कोसीस किदी ही। अंगरेज सरकार नकूँ आदेस लेबा का केड़े नवा सरऊँ “सरूपसाही” होना अन चान्दी का रिप्या बणबा लागा हा। याँको वजन 116 गराम अन 168 गराम हो। 169 गराम का खरा होना का सिक्‍का ने राज का खजाना का बाते अन कस्याई सुब काम का बाते काम में लेता हा। पाचा राज का खजाना में जमा व्या तका रिप्या का मोल का रिप्या पाचा छाप नाकता हा। अणीज टेम में अंगरेजाँ चलाया तका रिप्या का हस्याबऊँ आना, दो आना, चाराना, आटाना जस्या फोरा सिक्‍का निकाळ्या हा जणीमूँ हस्याब किताब होरो वेबा लागग्यो हो। रिप्यो अन पइसा ने च्यार हिस्‍सा में बाँट्या तका हा। पाव (1/4), अद्‍दो (1/2), पूण्यो (1/3) अन रिप्यो 1 ओळकवा का हस्याब ऊँ याँपे 1 लिक्यो तको वेतो हो। पूरी इकाई का पेली s को आँकड़ा अन रिप्या अन पइसा में 0 का आँकड़ा ने काम में लेता हा।

हमच्यार का सादन (डाक)
मेवाड़ राज्य में आज का जस्यान हमच्यार खन्दावा का सादन ने हा। एक दूजाँ लोगाँ नके हमच्यार खन्दावा का बाते नई, नोकर, दरोगा, ये आमो-हामो हमच्यार खन्दाता हा। अस्यान का हमच्यार हेला मुकजबानी वेता हा। राज-काज का काम करबा का बाते पेदल दोड़बा वाळा, ऊँट सवार, हाण्ड सवार, अन घोड़ा दोड़ाबा वाळा राकता हा। वे राज-काज की बाताँ अन काम करबा के बाते मुकजबानी जान केता हा। मुकजबानी बाता केवा का बाते वणी टेम में भरोसा वाळी बात ही। बोपार्यां का कागद पान्दड़ा होदो लेजाबा वाळा कन पेदल आतरा करबा वाळा आतर्यां का हाते खन्दाता हा। 
19 वी सताब्दी के लागती दाण पूराणी टेम में चालबा वाळा रीति रिवाज ने काम में लेवा लागग्या हा। अणिका केड़े हमच्यार पुगाबा का बाते बग्याँ काम में लेबा लागग्या हा। अबे लिकबा वाळा हमच्यार लाबा लेजाबा की सरुआत वेबा लागगी ही। पण गामड़ा गामा में करसाण नके अस्या कई खास सादन ने हा ज्यो वे अस्यान का हमच्यार लेजा सके। अस्यान को कानून माराणा स्वरूपसिंह के राज मूँ सरू व्यो ज्यो नत का हमच्यार लाबा लेजाबा को काम करती ही। अणी वेवस्ता ने “बामणी वेवस्ता” का नाम मूँ जाणबा लागा हा। 
बामणी डाक को काम एक हस्याब मूँ बंगाळ का हलकारा ज्यो हमच्यार लेजाता हा वाँकी जस्यान काम करता हा। अणी काम में बामण जाती का मनक सालाना ठेको देन हमच्यार लाबा-लेजाबा को काम कराता हा। मनक बामण जाती का मनकाँ पे आदर-भाव हेलो राकता हा। हाते-हाते बामण ने लूटणो अन मारणो पाप हमजता हा, अणी बाते रिप्या-कोडी अन कागद-पान्दड़ा बामणा नके ठावा-ठीका रेता हा। ज्यो मनक अणी काम का ठेका लेतो वो अणी काम ने हव करबा का बाते हलकारा राकतो हो जणाने हर मिने तणका मलती ही। 19 वी सताब्दी तक यो काम 4 रिप्या हर मिने हो। हमच्यार लेजाबा का अणी काम ने मेवाड़ में माराणा सम्भूसिंह जी का राज में चालू किदो हो। करसाणा ने हरेक हमच्यार का कागद का धाम्या तका रिप्या देणा पड़ता हा। मेवाड़ का छोकळा में अणी काम की लागत धामी तकी ही अन बारला हमच्यार अन सामान लाबा लेजाबा में न्यारा रिप्या लागता हा।

मेवाड़ में काम-धन्दा
मेवाड़ में मनकाँ के होरो जमारो जीवबा का बाते फोरा-फोरा काम धन्दा घणा करता हा। अणा कामाँ ने मोटा रूप में रिप्या-कोडिऊँ होरा रेबा का बाते छोकळा का मनकाँ के जरूत की पूरती करता हा। जादातर काम-धन्दा जाती अन रिती रेवाज का कामा पे टक्या तका हा। जाती का काम में बी दो धड़ा हा–
       * गामड़ा का कामदार
       * नंगर का कामदार

गामड़ा का कामदार गाम में जरूत के जस्यान काम का ओजार बणाता हा। अणाको घर खरचो खेती-बाड़ी पे आदारित हो। वे मनक आदा करसाण हा। सेरां में काम करबा वाळा मनक हव काम करबा वळा मनक हा। ये बी दो तरे का हा–
नगर में काम करबा वाळा कामदार–
        * दानकी करबा वाळा कामदार
        * धन्दो करबा वाळा कामदार

दानकी करबा वाळा कामदाराँ में पाका मकान बणाबा वाळा मिस्तरी अन ओरी दूजो काम करबा वाळा कारीगर अन दूजा गाबा हींवबा वाळा दरजी, रेजा बणाबा वाळा बळई, गाबा रंगवा वाळा रंगरेज, कागद बणाबा वाळा, होना-चांदी को अरक बणाबा वाळा, गाबा की छपई करबा वाळा छींपा, ठामड़ा गड़बा वाळा ठटारा, अस्यान को जाती वार काम करता हा। हुनार, लवार, हुतार, कुमार, दरजी, मोची, हगलीगर, अंतार-गंदी, नई, कलाळ अस्यान की घणी हारी जात्याँ ज्यो धन्‍दो करबा वाळा कामदार में आती ही।

मेवाड़ में कपड़ा का कारखाना
हरेक गाम में काम में आवे जतरो हूत कातता हा अन मोटा हुती का गाबा (रेजा) बणाता हा। अणिकी एक कावत बी हे–
मोटो खाणो, मोटो पेरणो अन फोरो रेणो॥
अरत- हुदा मनक ग्यानी मनक मोटो धान (मक्‍की, चावळ, गऊँ) खारा अन रेजा का गाबा पेरता हा। 
मेवाड़ में बचमें अन उगाणी दसा अन आँतूणी दसा में खपा हेलो वेतो हो अणी बाते यो छोकळो रेजा बणाबा की खास जगाँ ही। मुसळमाना में जुलाहा बारीक कपड़ो बूनवा को काम करता हा, पण याँ गाबा को काम नीची जाती में वेबा का कारणऊँ हेलो मोटो धंदो ने बण सक्यो हो। गाबो बणाबा में, रंगई, छपई अन कसीदा को काम मुसळमाना में रंगरेज छींपा अन हिन्दुआँ में पटवा जात्या का मनक करता हा। कपड़ा की छपई में लकड़ी का गट्‍टा त्यार करबा का बाते हुतार कारीगर बणाता हा। गोटा-कनारी बणाबा में पारख जाती का बामण काम करता हा।

लकड़ी को काम
मेवाड़ में तीन पाँती का काँकड़ में रूँकड़ा हा। सीसम, हागवान, आम्बा, बोळ्या अन भाँळडा घणा वेता हा। याँ लकड़्याँ को काम घणो हारो तो घर में काम आवा वाळा खेती, घर, ठामड़ा अन ओजार बणाबा में काम आता हा अन यो काम हुतार जाती का मनक करता हा।

लोड़ो अन चामड़ा को काम
गामड़ा गाम में लवार, चमार अन गाडोल्या लवार (एक घूमन धंदो करबा वाली जाति) खेती-पाँती का बाते हळ, कुदाळी, छड़, पावड़ा। घर में काम आबा वाळा समान (चींप्यो, दाँतळी, हाँकळ, चक्‍कू) बणाबा को काम करता हा। सेराँ में यो काम हगलीगर, जीनगर, मोची ये करता हा।

ठामड़ा-ठीकरा
गामड़ा में मनकाँ के काम में आबा वाळी चीजाँ की पूरती करबा का बाते गारा का ठामड़ा बणाता हा। भाँळ्डा होरा मलबा का कारण ऊँ भाँळ्डा का ठामड़ा बी घणा बणाता हा। भाँळ्डा का काम हरिजन, गाँची जाती का मनक करता हा। ये ठोपला, छाबड़्याँ, टोकर्यां बणाबा को काम करता हा। ताम्बा, पीतळ, अन काँसी का ठामड़ा कहार जाती का मनक बणाता हा। उदेपुर में पीतळ, ताम्बा के हाते-हाते हुनार होना-चाँदी का ठामड़ा बणाबा को काम बी करता हा।

रुक्मा बणाबा को काम
होना चान्दी की बड्‍या रुक्मा बणाबा को काम अन जड़ई को काम हुनार जाती का मनक करता हा। तलवार अन कटार्यां की मूँठ पे बी जड़ई को काम करता हा। कसिदाकारी को काम खास तोरऊँ नादवारा में वेतो हो।

दूजा काम धंदा
अस्यान का घरेलू काम-धंदा के सवा बी अटे मूँरताँ अन फोटू बणाणा, चूड़्‍या, अंतर, कागद, अन दारू बणाबा का काम-धंदा हेला करता हा। चतारा को धंदो चलण में हेलो हो ज्यो ठिकाणा, हवेल्याँ व देसी कलाकार का रूप में हारई घराँ में हो। वस्यान तो कागद गुजरात मूँ आतो हो, पण मेवाड़ में बी चारा ने गाळन, माँस, कपड़ा ने हड़ान गोळो बणान जाडो कागद बणाबा को काम घणो हो। यो काम करबा वाळा मनकाँ की जाती “कागदी” जाती ही। बारूद बणाबा को काम होनगरा करता हा, कलाळ जाती का मनक मोळ्ड़ा, केवड़ा अन गुलाल मूँ दारू बणाता हा। 
मेवाड़ रियासत में घणा हारा कारखाना काम करता हा। राजमेलाँ में कामदार तनका पे अन दानकी करन काम करता हा। अटे खास तोरऊँ उकेरबा को काम, मूरताँ बणाबा को काम, फोटू बणाबा को काम, गाबा हींवबा को काम, होना-चाँदी की जड़ई को काम, पालकी, होना को काम, दवई बणाबा को काम अन नाव अस्यान का काम वेता हा। कारखाना में बणबा वाळा सामान राज्य का मरदाना मेल में अन जनाना मेल में रेबा वाळा मनक करता हा।

मेवाड़ राजघराणा का कारखाना अन धन्दा– बणबा वाळी चीज को नाम अन जगाँ
दुपट्‍टो अन सींट का गाबा- हम्मीरगड
रेजा की जाजम अन पसेवड़ा, गाबा बणाबा, रंगणो अन छापणो– चित्‍तोड़, आकोला, उदेपुर
पागड़्याँ, मोचड़ा, चूंदड़्याँ अन लेरिया की छपई रंगई – उदेपुर
मेंगा कपड़ा पे होना चाँदी का तार अन रेसम का डोरा लगाणा– उदेपुर
खपो अन ऊन पेलवा को कारखानो– भीलवाड़ा
लकड़ी की कलाकारी वाळा खिलोणा अन चूड़्याँ – उदेपुर, भीलवाड़ा, जाजपुर, साहपुरा
पावड़ा की पालिस को काम– भीलवाड़ा, जाजपुर, साहपुरा
तलवार, खंजर-छुरा, कटारी, भाला, ढाल, हात्याँ की जीण, ऊँटाँ की अन घोड़ा की जीण– उदेपुर
गारा का बड़्या ठामड़ा बणाणा– उदेपुर, कपाण
लोड़ा का बण्या तका हमानदस्ता अन तगार्यां – बिगोद
ताम्बा, पीतळ, अन काँसी अस्यान धातू का सामान– भीलवाड़ा, उदेपुर
होना-चाँदी का ठामड़ा– उदेपुर
गेणा-गाटा अन रुक्मा अन नगीना जड़ावाँ को काम– उदेपुर
गेणा-गाटा की कलाकारी– नादवारा
हातीदाँत, लाक अन नारेळ की चूड़्याँ को काम– उदेपुर, भीलवाड़ा
मोमबत्ती– कोटारिया
गुलाबजल अन गुलाब को अंतर– खमनोर
लिला गस्या तका भाटा की मूरत्याँ– रिसभदेव
भींतड़ा की कलाकारी अन कलमकारी को काम– नादवारा, उदेपुर
जाडा कागद को काम– घोसुण्डा
बारूद अन होर-टोपी– केलवा, चित्तोड़ अन पुर
देसी हाबू– उदेपुर, भीण्डर

बोपार
बोपार को काम बे धड़कऊँ जुड़्यो तको हो। धन्दा का हस्याबऊँ बोपार्यां ने तीन तरेऊँ बाँट्या तका हा।
             * गामड़्या गाम को बोपारी
             * सेराँ में बोपार करबा वाळा बोपारी
             * बोरा अन हउकार

हउकार अन सादन-सम्पन वाळी दूजी जात्याँ का मनक गामड़ा में अन सेराँ का बोपार्यां की बचली कड़ी वेता हा। वे गामड़ा में उदार लेण-देण अन माल लेबा-देबा को काम करता अन लारे-लारे मोटा सेराँ में जरूत का हस्याबऊँ गामड़ा में माल भेळो करता अन मंड्याँ में एगटो बेंचता हा। अणी काम का लारे-लारे दो तरे को बोपार गामड़ा में मनकाँ के बाते बेंक को काम अन मंडी तक माल का खास गराक वेता हा। कोएक होदा ने भोरा बना देक्याँई बोपार करता हा। माल ने करसाण का घरे अन गोदाम में एगटो कर देता हा अन छावे जतरोक माल मंगाता हा अणिमूँ दलाली का बी रिप्या आता हा अन कमई वेती ही।

बोपार की खास जगाँ
गामड़ा में बोपार हप्ता में कन मीना में हाट-बजार लगान माल लेता अन बेंचता हा। अस्यान का-हाट-बजार कन मेळा 10-12 गामाँ का बचमें लगाता हा। रियासत में मीला बोपार का बाते खास जगाँ उदेपुर, भीलवाड़ा, रासमी, हणवाड़, कपाण, जाजपूर अन छोटी सादड़ी हा। राज्य में बोपार करबा का बाते बाण्या अन बोपारी हण्डो बणान माल खरीदवा अन देवा का बाते दूजी रियासताँ में जाता हा। वटे ये बोपारी लूण, हाती-घोड़ा अन ऊँट, हिरा-पन्ना अन दूजा रतन बेंचता हा। अस्यान की आतरा हिंयाळा केड़े चालू वेजाती ही अन चोमासो आबाऊँ पेली खतम वेजाती ही।

बोपार का बाते आबा जाबा का सादन
पेल्याँ का जमाना में बोपार करबा के बाते गेला-घाटा घणा खराब हा। अस्या गेला पे बणजारा बळदाँ अन भेंस्याऊँ, गाडोल्या लवार बळदगाड्याँ ऊँ, रेबारी लोग ऊँटा पे अन कुमार खच्‍चर अन गदेड़ा पे माल लाबा-लेजाबा को काम करता हा। अस्यी जगाँ जटे ढाण्डा माल तोकन ने लेजाता उटे मनक आपणा मोराँ पे तोकन माल लेजाता हा। हेलो छेटी बोपार करबा का बाते चारण, बणजारा, गाडोल्या जस्या लड़बा वाळा छाती वाळा ज्यो दरपता ने हा वे अणी काम ने करता हा। चारण जाती ने जात में बामण के बराबर मानता हा ज्यो याँ का डेरा ने कोई लूट ने सकता हा काँ की चारण ने लूटणो पाप मानता हा। ये बोपारी जुण्ड में एगटा रेता हा अन बळदाँ पे माल लादन लेजाता हा जणीने बाळद कन टाण्डो केता हा। एक टाण्डा कन बाळद में एक मूँ लगान एक हजार तक बळद रेता हा। ऊँट का बोपारी एक दन में 22 मील की आतरा कर लेता हा अन घोड़ा मूँ 50 मील तक आतरा कर नाकता हा। बळद गाडी, खच्‍चर अन गदेड़ा एक दन में 25-30 मील की आतरा कर नाकता हा। 
बोपारी आतराँ करती दाण रात ने गेला में गामाँ में धरमसाला में, धारमिक जगाँ पे कन हव छाँयाँ वाळा रूँकड़ा देकन रुकता हा जटे पाणी का बाते कुड़ा, बावड़्याँ का सादन वेता हा। गेला में हारई कूड़ा बावड़्याँ पे ढाण्डा ढोराँ के पीबा ने पो अन मनकाँ के पीबा का बाते प्याऊ बणी तकी वेती ही। 
18 वी सताब्दी के अन्त तक आतरी अन बोपार्यां की रुकाळी करबा का बाते राजदारी नाम की लगाण देणी पड़ती ही। वस्यान तो अंगरेजाँ का राज में अस्यान को कर खतम कर नाक्यो हो तो बी जागिरदार अणी काम ने करता हा। मराठा जगाँ पे कबजो करबाऊँ गेला में हाजी हाँतरी आतरा करबा का बाते बीमा का रिप्या देणा पड़ता हा। बरका का दना में गेला-गाटा खराब वेता हा तो अस्यी की नोबत में कीर जाती का मनक “उतराई” पार कराबा का रिप्या लेन मनकाँ ने नंद्‍याँ पार कराता हा।
ऊँची जाती का मनक अन रिप्या वाळा मनक पालक्याँ में अन बग्याँ में आतरा करता हा।

चुँगी नाका
बोपारी ज्यो बी माल लेता अन देता हा वणी माल को बोपारी कर का रूप में डाणी को डाण, बस्वा अन मापो नाम का रिप्या देणा पड़ता हा। एक गाम मूँ दूजा गाम में माल लाबा लेजाबा का बाते गामा की गराम पंचायताँ ने “मानो” (कर) देणो पड़तो हो। डाणी को डाण न बस्वा को हिस्याब राणाजी का नके रेतो हो पण 18 वी सताब्दी में सेना में ऊँचा पद पे काम करबा वाळा अदिकार्यां ने डाणी को डाण लेबा का बाते हक दे मेल्यो हो। याँ अदिकाराँ को सन् 1818 ई. का केड़े केन्दरीकरण को काम किदो हो ज्यो माराणा सरूपसिंह जी तक र्यो। पाची ठेकादाराँ का चूँगीनाका बंद करन जगाँ-जगाँ पे डाणी को डाण लेबा लागग्या हा।
    रेल की सुविदा आबाऊँ हरेक टेसण पे डाणी की चोकी बणई। चोकी पे डाणी अन हलकारा तेनात किदा हा। अटे माल उतारबा का बाते अन छडाबा का रिप्या लेता हा। पेल्याँ चूँगी नंग की गणती पे कन अनाज का तोल पे कन ढाण्डा ढोराँ की गणती पर लेता हा। धरम का काम का सामान पे जस्यान कर्यावर को सामान, ब्याव माण्डा का सामान अणा चीजाँ को डाण ने लेता हा।