1. राकी
राकी को तुवार घणो पुराणो तुवार हे हिन्दू धरम में राकी एक खास तुवार हे जणिने मनक घणो धूम – धाम मूँ मनावे। राकी का तुवार की जाणकारी आपणा पुराणा गरन्ताँ में बी मले जस्यान- रामायण, माभारत, गीताँ, पुराण, वेदाँ में बी राकी का तुवार की जाणकारी मले। राकी का तुवार ने हाँवण मीना की पुन्यू के दन मनावे जणिने आपाँ हाँवणी पुन्यू बी केवाँ अन अणी ने तुवार भई – बेन का तुवार मूँ बी जाणे। राकी का तुवार ने आज आकी दुन्याँ मनारी हे। 
राकी का तुवार ने, तुवाराँ में खास तुवार माने, मेवाड़ में राकी को तुवार घणो धूम – धाम मूँ मनावे। राकी को तुवार भई बेन को तुवार हे, अणी तुवार ने आकई भारत में मनावे। राकी का तुवार पे बेना आपणा भई की लम्बी उमर का बाते भगवान मूँ कामना करे अन भई बेना की आकी उमर रगसा करबा की होगन खावे। अन आकी उमर भई बेन को सात देवा के बाते त्यार रेवे। राकी को तुवार हाँवण मीना की पुन्यू 15 के दन मनावे। अणी दन बेना आपणा भई के जीमणा हात के बाँदन माता के तलक करन विंकी लम्बी उमर की कामना करे अन भई बेन आपणा रंग रंगीला डोरा मूँ भई बेन का बन्दन ने मजबूत करे। भई बेन एक दुजा ने मिटई खवावे अन सुक-दुक में हाते रेबा को विस्वास दवावे।  
 
राकी का तुवार की सरुआत – 
वेदिक काळ मूँ लगान आज तक आपणी समाज में जजमाना के, बडा – भुडा मनकाँ के राकी बान्दबा को रेवाज चल्यो आर्यो हे। पेल्याँ का मनक राजा के कन मोटा मान्या तका मनकाँ के राकी को डोरो बान्दता हा। अणिको मतलब यो हो के ये मनक आपणी अन आपणा समाज की रुकाळी करता रेवे, अबकी टेम में एक दुजा मनकाँ के काम आता रेवे। अस्यान मनक केवे के देवासुर का झगड़ा में (देवता अन रागसाँ की लड़ई) में अणिकी सरुआत वी ही।  
 
राकी की सरुआत धणी – लुगई किदी–
भविस्य पुराण में राकी का बारा में या जाणकारी मले के सतजुग में वरतासुर नाम को एक रागस हो। वो रागस अतरो जोरदार हो के वो वणिका बलबुत्ता पे देवता ने बी हरा नाक्या हा अन सवर्ग पे अदिकार जमा लिदो हो। वरतासुर ने वरदान मल्यो तको हो के विंने कस्या बी सस्तर अन अस्तर मूँ ने मार सके, अणी बाते राजा अन्दर वणिमूँ हर दाण हार जाता हा। वणिदाण दधीचि नाम का एक माराज हा वे आपणा सरीर ने खतम करन राजा अन्दर ने आपणा सरीर का हाडक्या को अस्तर (वजर) बणान दिदो हो। पचे राजा अन्दर बरस्पती माराज नके ग्या अन क्यो के वे वरतासुर रागस मूँ युद करवा जार्या। जीतग्या तो ठीक दुज्यूँ वीरगती (मरजाऊँ) वेजाऊँ। याँ हारी बाताँ ने हूणन राजा अन्दर की राणी सची वणिका तपोबल मूँ एक डोरो रगसासुतर मंतरन राजा अन्दर की बाँई के बान्द दिदो। जणी दन राजा अन्दर की राणी सची वाँके वो रगसासुतर बान्द्यो वणी दन हाँवण मीना की पुन्यू ही। राजा अन्दर जीतग्या अन वणा वरदान दिदो के हाँवण मीना की पुन्यू के दन ज्यो बी अस्यान को रगसासुतर बाँदी वो मनक हेली उमर को वेई अन जीततो रेई। वणी दनऊँ राकी बान्दबा को रेवाज सरू वेग्यो हो अन पचे यो एक भई – बेन को तेवार बणग्यो हो। 
 
दरोपदी अन करस्ण भगवान की राकी– 
माभारत का जमाना में दरोपदी अन करस्ण भगवान की बी एक कता हे। इन्दरपरस्त में सीसूपाल ने मारबा का बाते करस्ण भगवान सुदर्सन चक्‍कर चलायो वणी दाण वाँकी आँगळी कटगी ही। दरोपदी वणी दाण विंकी हाड़ी को पल्‍लो फाड़न वाँकी आँगळी के बान्द्यो हो। वणी दन हाँवण मीना की पुन्यू ही। भगवान करस्ण दरोपदी ने वचन दिदो के टेम आई वणी दाण एक-एक धागा को मोल चुकाऊँ। चीर हरण व्यो वणी दाण भगवान अणी वचन की पालणा किदी ही। 
 
युधिस्टर की राकी–
माभारत में राकी ने लेन एक और कता हे। केवे के जदी धरमराज युधिस्टर कोरवाँ मूँ युद करवा जार्या हा वणी दाण वाँ भगवान करस्ण ने युद में जीतबा को गेलो पूँछ्यो हो। जदी करस्ण भगवान वाने क्यो के थाँकाणी हारई सेनिकाँ के रगसासुतर बान्दबा की क्यो हो। वणा क्यो के अणी रगसासुतर मूँ मनक हरेक परेस्यानी मूँ मुगती पा सके। ईंके केड़े धरमराज ने करस्ण जस्यान बतायो वस्यानीस किदो हो ज्यो वाँने सपलता बी मली। अणी कता में बी धरमराज युधिस्टर सेनिकाँ के राकी बान्दी वणी दन बी हाँवण मीना की पुन्यू ही। 
 
अस्यी राकी ज्यो भई-बेन की राकी– 
राजा बली घणा दानी राजा हा अन भगवान विस्णू का खास भगत बी हा। वणा हो यग करबा को परण लीदो हो, जदी वणाका 99 यग पूरा वेग्या अन हो वो यग करर्या हा। वणी दाण भगवान विस्णू वाँकी परिगस्या लेबा ग्या। भगवान बावन्यो रूप करन आया अन राजा बली ने 3 तीन पग जगाँ देबा की क्यो अन वचन लीदो। राजा बली वाँने तीन पग जगाँ देवाँ को वचन दे दिदो हो। भगवान दो पग में तो आकी धरती अन आकास माप नाक्यो हो, अन भगवान क्यो के तीजो पग कटे मेलूँ? राजा बली वणी दाण हमजग्या हा के भगवान मारी परिगस्या लेर्या हे। वणी भगवान ने क्यो के तीजो पग मारा माता पे मेल दो। तीजो पग वणा राजा बली का माता पे मेल दिदो हो, पग मेलताई राजा बली पाताळ में पराग्या हा। पाताळ में राजा बली ने भगवान क्यो के अबे थूँ हमेस्यान के लिए अटे रेबा लाग जा। राजा बली भगवान ने क्यो के मारो राज पाट तो परोग्यो अबे मारो कुण धणी हे। भगवाण क्यो के मूँ थारी भगती मूँ परसण हूँ, माँग थारे ज्यो माँगणो वेवे वो। राजा बली क्यो के आप मने देणाई छावो तो एक वरदान दो के आज मूँ आप मारा अटे रेबा लागजाओ। भगवान क्यो के ठीक हे आज मूँ मूँ थारा अटे रेऊँ। अटिने वेकुण्ट में लक्समी परेस्यान वेबा लागी के भगवान ने घणा दन वेग्या कटे पराग्या। लक्समी नारद नके गी नारद वाँने बली की हारी बात बता नाकी। लक्समी जी राजा बली नके रूप बदलन गी अन राजा बली के राकी बान्दी अन वाँने धरम का भई बणा नाक्या हा। राजा बली क्यो के मारा नके तो देबा ने कई हई कोनी मूँ थने कई दूँ.... लक्समी जी आपणा असली रूप में आग्या अन क्यो के आपका नके तो साकस्यात भगवान हे याँने मने पाछा देदो। राजा बली राकी का वचन की लाज राकबा का बाते भगवान ने पाछा लक्समी जी ने हूँप दिदा हा। जणी दन लक्समी जी वाँके राकी बान्दन धरम को भई बणायो वणी दन बी हाँवण मीना की पुन्यू ही अणी बाते वणी दन मूँ यो तुवार एक भई – बेन को तुवार मान्यो ग्यो जणिने आज दन्याँ मानरी हे। 

2. होळी
होळी- हिन्दू धरम में होळी को तुवार एक खास तुवार हे, होळी का तुवार ने आकी दन्याँ का मनक मनावे। मेवाड़ में बी मनक होळी का तुवार ने खास तुवार का रूप में मनावे। होळी फागण मीना की पुन्यू के दन मनावे। मनक अणी तुवार ने घणी खुसीऊँ मनावे। होळी का तुवार पे मनक एक मीना पेलिऊँई गामाँ में फागण गाबा लाग जावे अन चंग की थाप पे नाचबा लाग जावे। अणी में मनक फागण का गीत अन होळी का गीत गाता तका गेर खेले अन नाचे अस्यान आकोई फागण मीनो मनक गेर खेले।
 
 
होळी की सरुआत– होळी की केणी को ताळमेळ विस्णु भगवान मूँ जुड़्यो तको है। नारद पुराण का मुताबिक आदिकाळ में (पुराणा जमाना में) एक हिरणाकस्यप नाम को एक रागसाँ को राजा हो। वो खुदा – खुद ने भगवान मूँ बी मोटो हमजतो हो अन वो छातो के ईं दुन्याँ में मनक खाली मारीस सेवा करे। पण विंको खुद को छोरो पेलाद विस्णु भगवान को मान्यो तको भगत हो, वो विस्णु भगवान की भगती करतो अन वाँने आपणा ईस्ट देवता / भगवान मानतो हो। या भगती वणिने वणिकी माँ हिंकई। पेलाद भणबा जातो वणी आसरम का गेला में एक कुमार को घर हो, वणी कुमार की लुगई को नाम सरियादे हो। कुमार हाण्डा पकाबा का बाते गारा का हाण्डा बणान वाँने पकाबा का बाते एक आवड़ो चुण्यो हो। वणी आवड़ा में एक मनकी बियागी ही, अणी बात की सरियादे कुमारण ने नंगे ने ही। कुमार हाण्डा पकाबा का बाते वणी आवड़ा में बादी मेली अन वे मनकी का बच्या नजर आग्या हा। सरियादे कुमारण विस्णु भगवान ने आद किदा अन जतरे वो आवड़ पाक्यो जतरे वा वणा मनकी का बच्या ने बंचाबा का बाते भगवान की भगती करती री। भगवान की करामात अस्यी वी के वणी आवड़ा ने पाक्याँ केड़े खोल्यो तो वे मनकी का बच्या को बाळ बी बाँको ने व्यो अन बच्या वणी आवड़ा की बादी में बी जीवता रेग्या हा। अणी सब काम ने पेलाद देकर्यो हो। पेलाद होच्यो के आपणा पिताजी तो अस्यान ने कर सके। अन वणी भगवान की भगती करवा लागग्यो हो।
 
हिरणाकस्यप ने वणिकी भगती मूँ नपरत करतो हो वो केतो हो के थूँ विस्णु की भगती मत कर वो रागसाँ को दुसमण हे अणी बाते विस्णु की भगती मत कर पण पेलाद अस्यान करतो ने मान्यो। हिरणाकस्यप पेलाद की हट ने देकन होच्यो के आपणो बेटो विस्णु के छाळे लागन रागसाँ ने मरा नाकी, अणी बाते पेलाद ने मार नाको। हिरणाकस्यप पेलाद ने मराबा का बाते घणी कोसीस कीदी ही। वणी पेलाद ने मराबा का बाते मंगरा पूँ नीचे फेंका नकायो, उकळता तका तेल का पड़चा में नाक्यो तो बी पेलाद जीवतो रेग्यो अस्यान वणिकी हारी कोसीसाँ काम ने अई तो एक दन हिरणाकस्यप की बेना जणिको नाम होळी हो वणी पेलाद ने मारबा की एक कळा होची। होळी हिरणाकस्यप ने जान क्यो के मने भरमाजी को वरदान हे के मूँ बादी में ने बळ सकूँ, बादी मारो बाळ बी बाँको ने कर सके अणी बाते थाँकाणी अणी पेलाद ने मारी खोळ्याँ में बेटाणन मारा में बादी लगा दो ज्यो मूँ तो मारा वरदान मूँ जीवती रे जाऊँ अन पेलाद बळन मर जई अन थाँका गेला को काँटो स्याप वेजई। हिरणाकस्यप बी होच्यो के बात तो सई केरी मारी बेना होळी। रागस पूगा टीण्डका भेळा करन पेलाद ने होळी का खोळ्याँ में बेटाण अन बादी मेल दीदी। पण भगवान की लीला न्यारी हे ईं बाते भरमाजी को वरदान बी काम ने आयो अन होळी तो बादी में बळबा लागी, बळन भसम वेगी ही अन पेलाद को बाळ बी बाँको ने व्यो, पेलाद के बादी को आल बी ने आयो अन हाजो-हाँतरो वणी बादी बे बेटो तको लाद्यो हो। अस्यान होळी को नाम नीसाण मटग्यो अन अच्छई की बुरई पे जीत वेगी ही। पचे हिरणाकस्यप ने भगवान नरसिंग को रूप धारण करन मार नाक्यो हो अन पेलाद ने रागसाँ को राजा बणा नाक्यो हो। वणी दनऊँई होळी बाळबा को रिवाज चालू वेग्यो ज्यो आज दन तक चालर्यो अन आगे बी चालतो चालतो रेई। होळी का तुवार ने मनक बुरई पे अच्छई की जीत की खुसी में मनावे अस्यान होळी को तुवार मनावे अणी तुवार ने मेवाड़ का मनक बी घणी धूम-धाम मूँ मनावे अन आकोई फागण का मीना में गेर नाचे अन चंग बजावे रंग गुलाल लगावे अन पकवान बणावे अन खावे अस्यान मनक होळी का तुवार ने घणी धूम-धाम मूँ मनावे। 
 
होळी कस्यान मनावे – 
होळी ने मनक घणी धूम-धाम मूँ मनावे अन होळी खेले मनक अन भई आमो – हामो होळी की बदई देवे हाराँकेई घरे फकवान बणावे अन खावे अन होळी ने बाळे, आकी रात गेर खेले अन मजा लेवे। अस्यान होळी का हात दन केड़े हीळी हातम पे हीतळा माता की पूजन करे अन होळी खेले अन मिटायाँ बणावे अन खावे। अस्यान आकई मेवाड़ में मनक रंगाऊँ होळी खेले। मेवाड़ में हीळी हातम, आटम, दसम, ग्यारस, तेरस, चवदस अन पुन्यू के दन मनक रंग अन गुलाल मूँ धूम – धाम मूँ होळी खेले। अस्यान मेवाड़ का मनक होळी खेले। 

3. हकराँत
हूरज मकर रासी में परवेस करे वीं दन हकराँत को तुवार मनावे। हरेक साल 14 जनवरी के दन हूरज मकर रासी में परवेस वे जावे। उतर भारत में यो तुवार हकराँत का नामऊँ जाण्यो जावे। हकराँत ने पंजाब में लोहड़ी, उत्तराखंड में उत्तरायणी, केरल में पोंगळ, गढवाल में खिचड़ी हकराँत का नामऊँ मनावे। हकराँत के दन हरिद्वार, कासी अन मान्या तका उजळा तीरताँ पे हाँपड़बा को घणो खास मेतव माने हे। अणी दन, दन- बावजी की पूजा करती टेम स्वेतारक अन रक्‍त कलर का फुलाँ को घणो खास लाब रेवे। अणी दन हूरज की पूजा करबा के लारे -लारे हूरज ने अरक देणो छावे।
 
हकराँत के दन दान करबाऊँ दुजा दना मूँ हेलो फळ मले। अणी दन मनकाँ ने कस्याई गरीब मनकाँ ने अन्‍नदान, तल्‍ली अन गोळ को दान करणो छावे। तल्‍ली कन पच्छे तल्ली का बण्‍या तका लाड्‍डू कन तल्‍ली की बणी तकी खाबा की चीज भी हऊ रेवे। धरम सास्‍तरा का हस्याबऊँ कस्यो बी धरम को काम जदी फळ देवे, जदी पुरी आस्ता अन विस्वास के लारे करे। जतरो परेमऊँ दान कर सके, उतरो दान जरुर करणो छावे।
 
हकराँत का तेवार का लारे पुराणी बाताँ बी जुड़ी तकी हे, जिमें भगवान असुतोस ने अणी दन भगवान विस्णु जी को आत्मा का ग्यान को दान दिदो। ईंके अलावा देवता का दना की गणती अणी दन मूँ चालू वेवे। दन-बावजी जदी लंकऊ दसा में रेवे वणी टेम में देवता की रात कन दन उतरायण का छे मीना की वेवे। माभारत की कता का हस्याबऊँ भीस्म पितामा ने आपणी देह त्यागबा के बाते हकराँत को दन चुण्‍यो हो।
 
केवे हे के आज के दन गंगा जी भागीरत के पाछे -पाछे चालन कपिल मुनी का आसरम में वेन समुन्दर में जान मली। अणी बाते आज के दन गंगा स्‍नान अन तीरताँ की जगाँ पे स्‍नान को खास मेतव माने। हकराँत मूँ रात फोरी अन दन मोटो वेबा लाग जावे। हूरज के उतरी गोलारद का दिने ओरी जाबा के बाते उन्दाळो चालू वे जावे। हूरज की किरण में गरमी हेली वे जावे। अस्यान वेबाऊँ जीव जनावराँ में काम की सगती हेली वे जावे। हकराँत के दन देवता बी धरती पे बिराजमान वेवे, आत्मा ने होक-मोक मले। अन्दकार को नास अन उजिता को आगमन वे जावे। अणी दन पुण्‍य, दान, जप अन धरमाँ को घणो मेतव रेवे। अणी दन गंगा स्‍नान करन हूरज ऊगाँ केड़े गोळ, छोका अन तल्‍ली को दान घणो हऊ रेवे।
 
हकराँत के दन खाबा वाळी चीजाँ में तल्‍ली घणी काम में लेवे। तल्ली की बणी तकी चीजाँ की बाना हकराँत के दन हरेक घर मूँ आती तकी मेसूस वेवे। अणी दन तल्ली ने बापरबो अन लारे दान करबो हव रेवे। तल्ली का पापड़ा, तल्‍ली को तेल, तल्‍ली में मलाया तका पाणी में स्‍नान, जळ पान, तल्ली को हवन, तल्‍ली की चीज खाबो अन दान करबो मनक का पाप में कमी करे।  

4. दसेरो
दसेरो आज आकी दुन्याँ का मनक मनावे नो दन नोरताँ का अन दसमें दन दसेरा का रूप में मनावे। दसेरो हर साल आसोज मीना की उजाळा पकवाड़ा की दसम के दन मनावे। अणा दस दन में मनक खास तोर मूँ माता जी की पूजा करे अन हारई देवी देवता की पूजा करे। मेवाड़ में बी नो दन नोरताँ ने खास तेवार का रूप में मनावे अन मावस के दन जवारा उरे नो दन तक आपणा-आपणा बावजी कन माताजी के अखण्ड दीवो बाळे अन नोई दनाँ तक दोई टेम माताजी की सेवा करे अन दसमें दन दसेरो मनावे जणी दन नोरताँ उटे। भोपा भाँव काडे अन चावण्डा माता जणीने (खेड़ाखूँट माताजी) नाम मूँ बी जाणे ज्याँने गामका मनक सरवर लेजावे अन भोळावे।  
 
दसेरो एक खास हिन्दू तेवार मूँ एक हे। यो मनावे हे, काँकी सरी रामजी ने नो दन की लड़ई का केड़े रागसाँ का राजा रावण ने मार नाक्यो हो। अन रावण की केद मूँ आपणी सीता ने छुडा लाया। अणी दन देवी दुरगा माता रागस महिसासुर ने मार नाक्यो। अणी बाते मनक आज बी विजयदसमी का रुप में मनावे। मनक परातना करे  अन आज भी देवी दुरगा मूँ आसीरवाद मांगे। अस्यान माने हे के भगवान सरीराम देवी दुरगा मूँ सगती के बाते परातना किदी। भगवान राम ज्ये १०८ कमल मूँ परातना करर्या हा। जदि श्री राम वाँकी परातना में पच्छे पूगा अन मेसूस किदो के एक कमल गायब हो। तो वाँकाणी आपणी आँक्याँ ने काटबो चालू कर दीदी। काँकी वाँकी आँक कमल को परतीनिधित्व करती ही अन वाँके बाते एक ओरी नाम कमलनायन हे। आपणी परातना पूरी करबा के बाते। जिमूँ देवी वाँकी भगती मूँ राजी ही अन रावण पे विजय दीदी।  
 
दसेरा को मेतव
दसेरो एक खास हिन्दू तेवार हे, दसेरा का तेवार को मेतव इँके धरम मूल में हे। यो आपाँने खराब पे बड़्‍या की जीत हिंकावे। अधरम पे धरम की जीत, अन रावण पे राम की जीत के सम्मान में आकई देस में मनावे। यो खास तोर मूँ अक्टूबर का मिना में आवे। देस का हारई हिस्सा में दसेरो तेवार नरई तरीका मूँ मनावे। गामड़ा में मनक अन लुगायाँ, बाळक सब गरबा नाचे। लमसम हरेक नगर में, नोई दन तक राम लीला करे जणी में भगवान राम की हर दन रामायण के आदार पे लीला करे अन घणा मनक इँको आणन्द लेबा के बाते आवे।

5. दिवाळी
दिवाळी भारत देस में मनाबा वाळो सबाऊँ मोटो तुवार हे। दिवाळी ने आकई भारत देस में खूब धूम धामऊँ मनावे। दिवाळी को तुवार खाली भारत मेइस ने मानावे यो तुवार आकी दुन्याँ में बी धूम धामऊँ मनावे हे। आज माकाणी आपणा अणी आरटीकल में बताबा वाळा दिवाळी को तेवार कस्यान वेवे हे, दिवाळी को कई मेतव हे, दिवाळी का मनावे, मनाबो को कई कारण हे अन दिवाळी को कई अरत हे।
दिवाळी को तुवार हरेक मनक के बाते खुसी लेन आवे, भलँई गणाई मनक मोट्‍यार वेवो कन बाळक। हर कुई अणी तुवार ने घणो धूम धामऊँ मनावे। ओर इस्कुल, कोलेज, ओपीसाँ में दिवाळी का तुवार ने घणी खुसी  मूँ मनावे। यो तुवार साल में एक दाण आवे ज्यो अक्टूबर कन नवम्बर का मिना में आवे। दिवाळी आतँई लोग भाग आपणा घर की साफ सफई बी करे। नवा गाबा पेरे, मिटई खावे, दीवा लगावे अन भड़ीका फोड़े। लक्समी जी की अन गजानन्द जी की पूजा करे।
 
दिवाळी की सरुआत
भगवान राम चवदा साल का वनवास मूँ अयोद्‍या आया– 
रामायण में अस्यान केवे के काती मीना की मावस के दन भगवान राम जी लंका 14 चवदा साल तक वनवास में निकाळन अन रावण ने मारन अयोद्‍या आया हा। जणी दन अयोद्‍या का रेबा वाळा हारई मनक रामजी की आवभगत करबा का बाते आपणा-आपणा घराँ में अन गेला में अन कुड़ा पे हारी जगाँ दीवा लगान रामजी की आवभगत किदी ही। अणी बाते वदीऊँ अणी दन ने एक तुवार का रूप में मनाबा लागग्या ज्यो आज तक मनार्या हे।
 
हिरणाकस्यप को वद –
पुराणी कता का हस्याब मूँ विस्णू भगवान नरसिंग रूप बणान हिरणाकस्यप ने मार्यो अणिकी खुसी में उटाका मनक घी का दीवा लगान खुस्याँ मनई ही अणी बाते वदीऊँ दिवाळी की सरुआत वी ही।
करस्ण भगवान नरकासुर ने मार्यो –
करस्ण भगवान पापी नरकासुर ने दिवाळी का एक दन पेल्याँ चवदस के दन मार्यो हो, अणिकी खुसी में गोकुळ का मनकाँ दीवा लगान खुसी मनई ही।
दिवाळी के दन लक्समी जी, धन का देवता कुबेर जी परगट व्या हा –
पुराणा गरन्ताँ में लिक्यो तको हे के दिवाळी के दन माता लक्समी जी दूद का सागर मूँ जिने सीर सागर केवे, परगट व्या हा। हाते – हाते समुन्दर मन्तन मूँ आरोग्य देवता अन भगवान कुबेर बी परगट व्या हा।
 
दिवाळी का तुवार की खास तोर मूँ हिन्दू धरम का मनक घणी खुसीऊँ इंतजार करे। यो तुवार बाळकऊँ लेन मोट्‍यार मनकाँ हाराँकेई खास अन पसंद को तेवार हे। दिवाळी भारत को सबाऊँ खास अन पसंद को तुवार हे। ज्यो आकोई देस एक लारे हरेक साल मनावे हे।  दिवाळी का तुवार के दन भगवान राम जी रावण ने हराबा केड़े 14 साल को वनवास भगतन आपणा राज अयोद्‍या में आया तो अयोद्‍या का हारई मनक आपणा आपणा घर में दीवा लगाया हा अणी बाते वदीऊँ लगान आज तक हिन्दू धरम में अणी दन दिवाळी का रूप में मनावे ।
 
मनक आज भी अणी दन ने घणी खुसी के लारे मनावे। भगवान राम वनवासऊँ पाछा आबा वाळा दन, अयोद्‍या  का मनक आपणा घर अन गेला ने घणा खुसी के लारे आपणा भगवान को स्वागत करबा के बाते हर घर-घर उजाळो कीदो। यो एक पवितर हिन्दू तुवार हे ज्यो बुरई पे अच्छाई की जीत को निसाण हे। 
 
दिवाळी को तुवार पंजाब्याँ का छट्‍टा गरूजी ने मुगल समराट जहाँगीर मूँ ग्वालियर जेळ मूँ गरु सरी हरगोबिंद जी की रिहाई के बाते मनावे।
 
अणी दन बणजारा ने एक बीन्दणी का जस्यान लाईटाऊँ सजावे काँकी वो एक अनोको तुवार दिक सके। अणी दन बजार हेली भीड़ मूँ भर्या तका रेवे, खास तोर मूँ मिटई की दुकानाँ। बाळकाँ के बजारऊँ नवा गाबा, भड़ीका, मिटई, इनाम, मोमबती अन खेलकण्‍या मले। मनक आपणा घराँ की सफई करे अन तुवार का पेल्याँ लाईटाँ मूँ सजावे। हिन्दू पंचांग का हस्याबऊँ लोग देवी लक्समी जी अन भगवान गजानन्द जी की पूजा करे हे। वे हेलो आसिरवाद, धन अन बड़्‍या जमारो पाबा के बाते भगवान अन देवी मूँ परातना करे। दिवाळी का तुवार का हारई पाँच दना में खाबा को सामान अन मिटयाँ बणावे। मनक अणी दन के बाते पासा, कारड गेम अन नरी तरेका खेल खेले हे। वे हव काम के बाते भड़े आवे अन खराब आदत ने छेटी करे।
 
धनतेरस
पेले दन धनतेरस कन धनवंतरी का रुप में जाणी जावे, जिंने देवी लक्समी की पूजा करन मनावे। मनक लक्समी जी ने राजी करबा के बाते आरती, भगती गीत अन मन्तर गावे। दुजे दन नरक चतुरदरसी का रुप में जाणे अणी दन करस्ण भगवाण नरकासुर रागस ने मार्यो हो अणी बाते भगवान करस्ण की पूजा करन मनावे हे। तीजे दन मावस के दन दिवाळी का रुप में मनावे। दिवाळी के दन माता लक्समी जी की सेवा करन मनावे। चोते दन भगवान करष्ण की पूजा करन गोर्वधन (खेंखरो) पूजा का रुप में मनावे। मनक आपणा बान्‍ना आगे फोइटा का गोरधन बणावे अन वाँकी पूजा करे। पाचवें दन यम दूज कन भई दूज का रुप में मनावे, जिने भई अन बेन दुई मलन मनावे। बेना आपणा भायाँ ने भई दुज का तुवार मनाबा का बाते बलावे।
 
दिवाळी को तुवार भारत अन दूजाँ कई देसाँ में धूम-धाम मूँ मनावे हे। दिवाळी ने दीवा को तुवार भी केवे। दिवाळी को तुवार भारत का खास तुवार मूँ एक हे। जिने भारत में घणी खुसी अन उल्लास का माओल में मनावे। यो तेवार बाळक, भूढा, मोट्‍यार हर कोई बड़्‍या मनावे। अटा तक कि इस्कूल, कोलेज अन सरकारी दफ्तर में भी दिवाळी को तेवार ने घणो धूम – धाम मूँ मनावे। अणी दन मनक एक – दुजा ने दिवाळी की बदाई देवे अन ईनाम भी देवे।
 
दिवाळी को तेवार हरेक साल अक्टूबर कन नवम्बर का मीना में मनावे हे। दिवाळी आबा का थोड़ाक दना पेल्याँ मनक अणी तुवार ने मनाबा की त्यारी में लाग जावे। दिवाळी के दन लोग आपणी दुकान, आपणो घर, इस्कुल, दफ्‍तर ने हव सजावे। हारई मनक नुआ गाबा लावे, अणी दन घर अन दुकान की बी बड़्‍या सफई करे। दिवाळी की रात पूरो भारत जगमगावे। रंग बिरंगी लाइटाँ, दीवा, मोमबती मूँ भारत को हर घर जगमगावे। दिवाळी की हाँज भगवान लकसमी अन गणेस जी की पूजा करे। पूजा किदाँ केड़े हारई मनक आपणा पड़ोसी अन आपणा रिस्तेदार ने परसाद, मिटई देवे। अणी दन मनक भड़ीका, बम, फुलजड़ी बी छोडे। दिवाळी को तुवार बुराई पे अच्छई की जीत को परतीक माने।