मेवाड़ी भजन

पंछीड़ा लाल आछी भणी रे उलटी पाटी।

पंछीड़ा लाल आछी भणी रे उलटी पाटी।
वीं मालिक ने भूलग्यो तूँ, लक चोरासो काटी।
जीव जन्तू न खाय तू, बदन बणा लियो बाटी।
अतरी मोटी देह जळे जब, लगे बारा मण लाठी।

पंछीड़ा रे लाल, सूतो कईयां चादर ताण।

पंछीड़ा रे लाल, सूतो कईयां चादर ताण।
अब तो ओसर बीत्यो जावे, छोड़ पाछली बार।
बाळपणा हंस कर खेल गँवायो, दे दे गोदी ताण।
बाळसखा संग करी लड़ाई, छोडी सबकी काण।१।

हनुमान जी

तर्ज:- ( हनुमान जी)
मारो बेड़ो लगा दीज्यो पार, बजरंग बालाजी।टेर।
फळ खाया अन बाग उजाड़े, असुराँ न दुख दीन्हें भारी।
मार्यो मेघनात को मान।

निले गगन के तळे

निले गगन के तळे
निले गगन के तळे, उड हनुमान चले॥२॥
दिनी खबरिया, डाली मुंदड़ियाँ, वरक्स असोक तळे - - -।
निले गगन के तळे॥

ठुमक ठुकम कर चाल भवानी ले हाताँ तलवार

ठुमक ठुकम कर चाल भवानी ले हाताँ तलवार
भवानी मारी जगतम्बा॥
अब दुरबल के हलकारे भवानी आवज्यो ये - - - - -॥
गेर गुमारो पेर घाघरो, ओडण दकणी रो चीर,

श्री राम चन्द्र को दूत पूत पवना को

श्री राम चन्द्र को दूत पूत पवना को
कपि कदी न लजायो दूद मात अंजना को॥
सो योजन समंद लांग, सिया सुधि लिनी जी ।२।
अक्सय को पछाड, उजाड़ वाटिका दिनी