एक दाण अकबर का मेलाँ में हारई दरबारयाँ बीरबल ने फसाबा की कळा होची ही। हारई दरबारी होच्यो के कस्यान - कस्यान बीरबल ने फसाणो पड़े। दरबारी सल्ला किदी अन अकबर ने जान क्यो के हजूर आज दरबार में एक सवाल आयो तको हे, वींको फेसलो कुण करे। अकबर क्यो के सवाल बतावो बीरबल अबाणू हुळजा देई। हारई जणा के बी याइस छारी ही। दरबारी क्यो के ईं दाण आपणा हारई दरबारयाँ के मन में कई सवाल चालर्यो। अकबर बी क्यो के ईं सवाल को जबाब तो बीरबल के सवा कुण देवे। दूजे दन बीरबल आयो, हारई जणा छाना माना बेटा हा। बीरबल आन क्यो के आज अस्यान काँ बेटा हो। अकबर क्यो के आज एक बात फसगी अन वा बात खाली बीरबल बता सके अन ने बतावे तो आजऊँ दरबार में आणो जाणो बन्द करणो पड़े। बीरबल क्यो के खाली मनेइस बताणो, अस्यो कस्यो सवाल हे। अकबर क्यो के आज याँ हारई दरबारयाँ के मन में अस्यो कई सवाल हे ज्यो ईं दाण याँ हारई जणा के मन में चालर्यो हे। बीरबल क्यो के बस यो अतरोक मोटो सवाल हे, कई ईं सवाल को जबाब हर कुई दे देवे, मूँ तो जाण्यो के कई मोटो सवाल हे दिके। ईं दाण हारई जणा के मन में खाली एक सवाल हे, यो राज खूब फळे-फुले अन आकी दन्याँ में राज वेजावे, योइस सवाल हे हारई जणा के मन में। अकबर सबने पूँछ्यो तो हारई जणा हाँ कर नाकी। काँकी नट जावे तो सजा भोगणी पड़े, ईं बाते अकबर बीरबल ने खूब इनाम दिदो हो।
सब दरबारयाँ के मन में कई सवाल चालर्यो हो?
सब दरबारयाँ के मन मे कई करबा की ही?
बीरबल कई जबाब दिदो हो?
ईं केणी भणबा वाळा मनकाँ ने कई अकल मले लिको–