तर्ज-धन बाबाजी रे
भम्म भोळा रे बाबा भम्म भम्म भोळा रे ॥
जाड़्या जरणा पहाड़ाँ माही रहे सदा सिव भोळा,
सोवे निरंजन समसाणा में, संग भूतन का टोळा रे ॥ भम्म�॥1॥
नाग भुजंगी गळ में काळा फण फणकत दे जोळा,
अंग भभुतियाँ रमें राकोड़ी तन बाघाम्बर चोळा रे ॥ भम्म�॥2॥
डमक डमक डम डमरू बाज रहे मगन मस्त मोला,
गोट गोट माँ गिरजा देवे, पीवे भंग का गोळा रे ॥ भम्म�॥3॥
पल में संकर निहाल करदे जिसने हरि रस घोळा,
रूप भयंकर सिव जब धारे, डगमग तरिभुवन डोला रे ॥ भम्म॥4॥
वरसभ सवारी सोभित हे, सिव नंदी गण हे धोळा,
मंगलेश्वर महादेव सरणे "भेरव" भजनिया बोला रे ॥ भम्म�॥5॥