तर्ज-बरसी रे बरका बरसी
खमा खमा रे घणी खमा, बजरंग बलधारी ने,
ज्याँके राम बसे हे नेण, भगत भय हारी रे ॥
सीता जी की खबर लेयने लंक जलाने आया,
राम नाम लिख चट्टाना पे, जळ पाकाण तराया,
सिन्धू कूद बंदर सेन, अजब अदकारी ने ॥1॥
मेघनाथ ने लक्समण जी के सगती बाण जब मारा,
जाय रात में बूँटी लायो द्रोणागिरी ने धारा,
जळायो ढळती रेण, जीवाय ब्रह्मचारी ने ॥2॥
चुरा ले गया राम लकन को अहिरावण पाताळ,
प्याळ तेकी जाय पछाड़ा आप होय विकराळ,
दई रामादळ को चेन, बाँका बलहारी ने ॥3॥
आय राम ने रामत माण्ड्यो, युद मचायो भारी,
रावण मारी भार उतारी, आय अवध बिहारी,
हे राघव जी ने, चरण बलिहारी ने ॥4॥
ओगणगारी काया मारी दया करो कर मरजी,
चरण की अब सरणा देदो "भेरव" की या अरजी,
सुण आरत मारा वेन, चरण बलिहारी ने ॥5॥