तर्ज- भाबासा री लाडली कटीने चाली रे
ओ अलबेली छेल छबीली बण नकराळी रे,
छम-छम करती भीलणी कटीने चाली रे ॥
सुवा जेसी नाक तिहारी, होट गुलाबी थाराये,
दाड़म जेसा दाँत दुदिया, नेण रंगिला प्यारा ये,
अंग रसीला सूरत मोवनी, लागे बाली रे ॥ छम -छम॥1॥
नागण जेसी चाल पदमणी, नवरंग नार नवेली ये,
क्या हे तेरा नाम भीलणी, क्यों बन फिरे अकेली ये,
हो जा मारी लार सूंदरी, मत फिर ठाली रे ॥2॥
तेरी अदा पर फिदा हे शंकर, ओ मेरी दिल जानीये,
में केलाश वासी राजा थूँ बणजा पटराणी ये,
तीन लोक की हरियाळी का हूँ वनमाळी ये॥3॥
भँवरी भीलण नाम अन्दाता ओछ जात हमारी ये,
में चालूँ तो थारे संग में, परण्यो माने माटी रे,
घणो अनाड़ी अड़सी लड़सी दे दे गाळी रे॥4॥
ओछी जात की परवा नाहीं, में बाबो वनखण्डी ये,
थारो परण्यो कई करेलो पकड़ जाऊँला मुण्डी ये,
वाँने मारयाँ जगत हँसेलो दे दे ताळी रे॥5॥
थारा घर में जगाँ नहीं हे, आगे हे दो नारी रे,
पवितर गंगा दूजी थारे पारवती सी प्यारी रे,
घर में वेलो कळेस हमेंस्याँ ठोड़ न खाली रे॥6॥
पारवती ने पीहर भेजूँ जटा में राखूँ गंगाये,
दोनों थारी दास्याँ वेली थूँ मारी अरधांगी ये,
पारवती थारे पाणी भरसी गंगा नहालीये॥7॥
पल्लो छोडो मारो सिवजी, मानो बात हमारी रे,
दुनिया में बदनामी होसी, हाँसी होय हमारी रे,
दूजी बात मूँ रती न चालूँ पाळी पाळी रे ॥8॥
थें केवो तो भँवरी तारे नंद केसर ले आवूँ ये,
हाती घोड़ा गाडी या कन सेज पालकी लावूँ ये,
खांदे माते पीठ कड़्याँ में लूँ नकराळी ये ॥9॥
हाती घोड़ा गाड्याँ माही डर लागे हे भारी रे,
कड़ियाँ माही कमर छबे हे मूँ मुलायम नारी रे,
पीठ उपर बेठूँ बाबा मूँ मतवाळी रे ॥10॥
यूँ सुणता ही भोळा सिवजी बण्या आप जट घोड़ी रे,
गोडा टेकने पड़्या गडोळ्याँ बेटो मारी जोड़ी ये,
बणी गोरजा भँवरी भीलण वा गरवाळी रे॥11॥
देक गोरजा सिव सरमाया, पारवती रा प्यारा रे,
पगल्या हेटूँ धूळो उडग्यो, दन में दिक्या तारा रे,
पाणी पाणी वेग्या सिव देके घरवाळी रे ॥12॥
कहे गोरजा घणा स्याणा थें भोळा भण्डारी रे,
कामदेव ने जीतण वाळा वारी जाऊँ बलिहारी रे,
कहे "भेरव" महामाया थारी लीला निराळी रे ॥13॥