(बजरंग वंदना) तर्ज- मारे लादे रे लादे जमकुड़ी
बाबा आज्यो रे आज्यो, थें धूप धूँवाड़े लाज्यो॥
परमळ सूँ पाट पुरावाँ पगल्या में फूल छडावाँ,
गुगळ री धूपाँ खेवाँ हे पान फूल सेवा,
गोळ का मोदक चूँट्‍या चूरमा खाण्ड खोपरा खाज्यो॥1॥
या अगर कपूराँ बाती जळके हे जगमग ज्योती,
हे गोटो रोट लंगोटी आरतड़्याँ मूँगा मोती,
राम धण्याँ रो खोळण तुळछाँ चरणामत पाज्यो॥2॥
समरत हे स्वामी, थाँका बणज्यो सहायक माका,
धजधारी धरत्याँ धाकाँ, जग जबर जोध बल बाँका,
"भेरव" की सुण टेर, करो ना देर, आ भीड़ भगाज्यो॥3॥