पंछीड़ा लाल आछी भणी रे उलटी पाटी।
वीं मालिक ने भूलग्यो तूँ, लक चोरासो काटी।
जीव जन्तू न खाय तू, बदन बणा लियो बाटी।
अतरी मोटी देह जळे जब, लगे बारा मण लाठी।
कसर काण न छोड देई अन हाताँ ले ली लाटी।
माकन अन दूद ने बेंचे, छाछ जर केयाँ खाटी।
जोड़-जोड़ धन कर लियो भेळो, लगा कपट की टाटी।
अपना मतलब कारणे, कयां की गरदन काटी।
कहत कबीर सुनो भई सादू, या छे जम की घाटी।
जम का दूत पकड़ कर मारे, जद चाटलो माटी।