तर्ज:- ( हनुमान जी)
मारो बेड़ो लगा दीज्यो पार, बजरंग बालाजी।टेर।
फळ खाया अन बाग उजाड़े, असुराँ न दुख दीन्हें भारी।
मार्यो मेघनात को मान।
लंका में हार्रे आग लगाई, सागर आन पूँछ बुझाई।
उनकी भली करी भगवान।२।
लंका वाळे सब घबराये, घर से निकळ बाहर सब आये।
एसी आयो हे बलवान।३।
हनुमत सीता ढिग आये, चरणो में आके सीस नमाये।
सीया दे दीनो वरदान।४।
लंका से चल परबू ढिग आये, सीताँ जी की खबर सुनाये।
कर ‘रुड़मल’ गुण गान।५।