तर्ज (ओ पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े)
ओ….. पवन वेग से उडने वाले योद्‍दों।
बेटा चुपचाप क्यों, मेंटो संताप तू, जाओ रे लंका रण बंकाओ।
बालपणाँ में उडा अम्बर पे, हूरज का जा गरास किया।
तब छोड़ा जब आय स्वयं, देवों ने वरदान दिया॥
पवनों के पूत ओ, रघुवर के दूत ओ जाओ॥
उठो वीर रणधीर बली, झटपट सिन्दु को पार करो।
कपि दल को दे जीवन जंग, सियाराम सन्ताप हरो॥
रुदर अवतारओ, बल के भण्डार ओ॥जाओ॥
अरे जन्म के जाती मरद जा, सती सिया की खबर करो।
पग पग तेरी जीत होगी, सियाराम को हरदे धरो॥
भेरव भू लाल ओ, मंगल महाकालो॥जाओ॥