ओ मोवन मुरली मण्डप्ये बजाई रे
ओ मोवन मुरली मण्डप्ये बजाई रे,
छोड्यो सब ही काज रास रमबा ने आई रे॥
सुण कर मुरली मोवनी मारो मनड़ो मस्त वेग्यो,
परण्यो उबो फेरा मायने, हेला पाड़तो रेतो रेग्यो,
ओ पाणी पाणत करती आई रे । छोड्यो॥1॥
केसी मुरली मोवनी मारी, सुद बुद भी भुल्याई,
नानो बाळक रोवतो में घर पर ही छोड्याई,
लूगड़ो बिन ओड्याँ में आई रे । छोड्यो॥2॥
मुरली की धुन सुणके साँवरा, सिव समाधी खोली,
वेद बाँचता रुक्या ब्रह्मा, इन्द्र करे चक चोली,
अंग पर गंगा अंगियाँ दरसाई रे। छोड्यो॥3॥
मीटी-मीटी बाजे मुरली, राधा नाचे संग में,
जगदीस चरणा को चाकर, रंगियो थारा रंग में,
थारा चरणा में चितलाई जी। छोड्यो॥4॥