तर्ज- रणूजा वाळो मारा काळजा री कोर
बजरंग बालो रे मारी काळजा री कोर,
हाक चढे हारिया की आवे बाबो दोड़, संतवाळी डोर ॥
भीड़ चढ्यो रे राजा राम रघुराय के,
सीया जी की खोज करी, लंक पुरी जाय के,
समदरियो कुदिने जाय पकड़ियो चोर ॥ हाँक....॥1॥
मेघनाथ बाण मारियो लखन आघात,
जाय बूँटी लायने जीवाय दियो लात,
रात्यूँ ला संजीव, नाहीं होवण दी भोर ॥ हाँक....॥2॥
अहिरावणियो लेग्यो करने को काळा,
याद किया राम बाला, पहुँच्या पियाळाँ,
हनुमत के सिवा मेरो कोई नहीं ओर .....॥3॥
जो-जो भगत बाला जगत में हारिया,
बेळू बणी ने बली संकट मूँ तारिया,
"भेरया" के भीड़ माही हनुमत को जोर ॥4॥