तर्ज – कन्हेया तेरी मुरली ने दिवाना कर दिया…
खेले-खेले रे छोगाळा होळी रंग फागाँ में, बजे चंग फागाँ में॥
फूलाँ छावत में घाडम्बरियाँ,
लाल गुलालाँ उडत अंबरियाँ,
अंतर की बोछारां वे रंगीली पागाँ में ॥ होळी…………॥1॥
सोना रूपाँ री रंग पिचकारियाँ,
भगत खेलावे फाग हरी ने होळियाँ,
माचे केसर कीच रे केसरिया बागाँ में ॥ होळी…………॥2॥
आधे फागण फूल डोल का लागत हे मेंळा,
भावना ले भगत आवे भावुक वे भेळा,
माथे जाड़्यो गळ कंटी केसुल्या तागाँ में ॥ होळी…………॥3॥
चाक, मांदळ, ढोल बाजे गेर नाचे गेरिया,
जांजा मजीरा, ढोलक भजन करे "भेरया",
फाग होळी हरजस गावे के ही रागाँ में ॥ होळी……………