नारद जी एक काँकड़ में वेन जार्या हा। वाँ देक्यो! एक माराज एक रूँकड़ा के नीचे तप करर्या हा। वाँ माराज वाँने देक लिदा हा अन वाँ वाँके धोग दिदो हो। वाँ क्यो के मने भगवान का दरसण कदी वेई नारदजी क्यो के ईं रूँकड़ा पे जतरा पान्दड़ा हे उतरा साल में भगवान का दरसण वेई माराज या बात हुणन अचम्बा में पड़ग्या हा। वाँ माराज होच्यो के यूँ तो मूँ घरे रेन बी दान देन भगती कमा सकतो हो वे तप करता तका बन्द वेग्या हा। नारद जी आगे पराग्या हा आगे बी एक माराज वाँ ने परणाम किदो हो वाँने योईस पूँछ्‍यो हो वाँ क्यो के ईं रूँकड़ा पे जतरा बी पान्दड़ा हे उतरा सालाँ में दरसण देई वे माराज राजी वेग्या हा अन नाचबा लाग ग्या हा वाँ होच्यो के मने दरसण वेई। वीं दाण भगवान उटे परगट वेग्या हा अन वाँ माराज ने दरसण दे दीदा हा। वाँ क्यो के थारे संतोस वेग्यो ईं बाते दरसण देणा पड़्या। वाँ क्यो के वे ज्यो नारदजी ने माराज मल्या हा वाँके मन में हाल तक मोमाया मूँ मन छेटी ने व्यो हो ईं बाते वाँ ने दरसण ने व्या हा।
प्रसन-1. नारद जी जार्या हा वीं दाण काँकड़ में कुण तप करर्यो हो?
2. दूजा काँकड़ में कुण मल्यो अन वीं नारद जी ने कई क्यो हो अन वीं कई किदो हो?
3. नारद जी की बात हुणन वे माराज कई करबा लाग ग्या हा अन पचे वाँने कुण दरसण दीदा हा?
ईं केणीऊँ भणबा वाळा मनकाँ ने कई अकल मले लिको —