श्री राम चन्द्र को दूत पूत पवना को
कपि कदि न लजायो दूद मात अंजना को॥
सो योजन समंद लांग, सिया सुधि लिनी जी ।२।
अक्षय को पछाड, उजाड़ वाटिका दिनी
फिर लंका जला, जल डपर सेतु वराई सा-
दल पदय अठारह सेना सबल सजाई
खल बलि हकि सुन हनुमान को हाँको
कपि कदि न- - - - - -।
ओट कोट ने कूद बजाया हुंका
फिर उलट पुलट गिन गिन कर किना फंका॥
ले पकड पूँछ मे मार बजड बल लंका
कपि पाड ठकायो तितर बितर लंका -२
ऐसी भारत में गढ़लगड दबायो नाको,
कपि कदि न - - - - - - -।
लक्षमण के लाग्यो तीर वीर जट आयोजी -२
जटपट उठाया जट रामादल मे लायोजी
सरजीवन पल भर मे द्रोणा गिरी मे उठायो जी-२
जा रातो रात में हात मे बूँटी लायो
आण बचायो प्राण पाबन्द बचनाको
कपि कदि न - - - - - - - -।
पाताल फोड जट दोड़ जोड भई तारो जी-२
अहिरावण मारयो हारयो जी दल बल सारो
ले लिनो रे बिडूलो जेल जबर युद किनो
फिर भिडे युद मे जोद जबर बल बाको
कपि कदि न - - - - - -।
विसराम घाटकर ठाट पाट आंदण मे-२
ले बावन भेरु चोसठ जोगण्या संग में
करज्यो दंगल मे मंगल रामा रंग मे-२
मारे आण विराजो रुम रुम अंग अंग मे-२
भेरव हे यो चाकर हे चरणा को जी
कपि कदि न ल जाये - - - - ।