ऊन्दरा को दुक

एक दाण की बात हे। ऊन्दरो तेनालीराम का घरे घणी धामा चोकड़ी मचा मेली। वो बापड़ो घणो दुकी हो, वो ईं दुक मूँ छूटकारो पाबा का बाते सला लेबा का बाते वो वींका दोस्त नके ग्यो। दोस्त वींने एक मनकी पाळबा की

अस्यी कस्यी होच

एक दाण एक बासा हा, वे एक बजार में ग्या अन बजार में मोटा मोटा घर देकन वे मेमा करबा लागा। एक जइगाँ ग्या, वटे एक मोटो घर देकन वे वींका बान्ना में ऊबा रेग्या हा। वीं घर में एक करंट मूँ चालबा वाळी पँगत्

अनोकी छावना

एक दाण सरग मूँ एक देवता धरती का मनकाँ के मन की छावना पूरी करबा आया। वाँ मनकाँ ने क्यो के थाँका मन में ज्यो बी छावना वेवे, ज्यो थाँ मने को, मूँ थाँकी वो आसा पूरी केरूँ। थोड़ीक देर में तो वटे मनकाँ क

एक हिंयाळ्यो

एक दाण हिंयाळ्यो हो, वो रोज गाम में जातो। एक दाण वींकी लुगई क्यो के काओ मनकाँ थाँ मने बी गाम में लेन जावो ने। हिंयाळ्ये क्यो के वा बेण्डी थने कटे गाम

एक बेण्डो अन एक बेण्डी

एक दाण एक गाम में एक बेण्डो अन बेण्डी रेता हा। बेण्डो रोज काँकड़ मे जातो अन टीण्डका लेन आतो हो अन वींको गुजारो करतो हो। एक दन बेण्डो आयो अन वींकी लुगई ने क्यो आज मने थकेलो आग्यो, ज्यो मारे बाते पाण