1. अंत भलो तो सब भलो।
    अर्थ- सभी बातों को सोचकर अंत में जिस निर्णय पर पहुँचते है, वही सही है।


2. अंदारी रात में, तल काळा।
     अर्थ- दो अक्लमंद व्यक्ति कभी सही नहीं सोचते है।


3. अई गी, पार पड़ी।
    अर्थ- जो होना था वो हो चुका है, व्यर्थ चिन्ता नहीं करनी चाहिए।


4. अई पाँवणी ने नाते देणी।
    अर्थ– दूसरों की वस्तु को उधार देना।


5. अई बल्ला टाळणी।
    अर्थ- किसी मुसीबत से बचना।


6. अई बल्‍ला, मोल लेणी।
    अर्थ- जानबूझकर विपत्ति मोल लेना।


7. अई भू आयो काम, गी भू अन ग्यो काम।
    अर्थ- जब घर में कोई नया आदमी आता है तो काम भी उतना ही बढ जाता है, और जब कोई चला जाता है तो काम भी कम हो जाता है।


8. अई रत खेती, काँ करे पछेती।
    अर्थ- खेती की ऋतु आ गई तो खेती करने में देर क्यों करते हो।


9. अई राकी, मरी माकी। 
     अर्थ- बरसात में मक्खियाँ अधिक होती है और राखी के बाद सभी मरने लग जाती है।


10. अई लछमी के लात मारणी।
      अर्थ- जब कामयाबी चल कर आती है तो लेने से मना कर देना।


11. अकेली केणी गोळऊँ मीटी।
      अर्थ- एक अकेली वस्तु सबसे श्रेष्ठ तो मानी जाएगी, क्योंकि उसकी तुलना में दूसरी कोई वस्तु नहीं है।


12. अकेली लाटी कटा तक बळे।
      अर्थ- अकेले व्यक्ति को किसी वस्तु से उसके सामर्थ्य से ज्यादा नहीं सोचना चाहिए।


13. अकेलो कमई करे अन घरकाँ कचेड़ी करे।
       अर्थ- एक अकेला व्यक्ति मेहनत करता है और घर वाले निठल्ले बन कर बैठे रहते है।


14. अकल उदार कुई मले।
      अर्थ– बुद्धि उधार नहीं मिलती।


15. अकल का घोड़ा दोड़ाणा।
      अर्थ- वास्तविकता का विचार न करके केवल कल्पना से काम लेना।


16. अकल किंकई बाप की कोइने।
      अर्थ– बुद्धि किसी की बपौती नहीं होती हैं।


17. अकल को बळद।
      अर्थ- दिमाग होते हुए भी गलत कार्य करना।


18. अकल बना ऊँट अबाणा फरे।
      अर्थ- मूर्ख व्यक्ति बुद्धि न होने के कारण साधनों का प्रयोग नहीं कर पाते।


19. अकल मोटी के भेंस।
      अर्थ- पशु – बल से बुद्धि – बल ही श्रेष्ठ है।


20. अकल हिया में उपजे, दिदा लागे डाम।
      अर्थ- मनुष्य के ह्रदय में ही बुद्धि उत्पन्‍न होती है, जो सही गलत की पहचान कर सकता है।


21. अकलदार के असारोई घणो।
      अर्थ- जब कोई व्यक्ति सामने वाले को इशारे से समझाने की चेष्टा करे तो भी वह समझ जाता है।


22. अगम बुद्‍दी बाणियो, पच्‍छम बुद्‍दी जाट, तुरक बुद्‍दी तुरकड़ो, बामण हपटपाट।
      अर्थ– बनिया दूरदर्शी होता है, जाट को बुद्धि बाद में आती है, मुसलमान तुरंत ताड़ लेता है, बुद्धि के नाम ब्राह्मण ज्यादा बुद्धिमान होता है।


23. अटक्यो भोरो उदार दे।
      अर्थ– जिस बनिये का कर्ज कहीं अटका हो, तो उसे वसूल करने के लिए उसको और उधार दे देता है।


24. अटे कई तमासो वेर्यो।
      अर्थ- किसी को गुस्से में कहना यहाँ से चले जाये।


25. अड़ेसट तीरत कर्याई तूम्बी, तो बी कड़ी रेगी।
      अर्थ- आदमी का स्वभाव कभी नहीं बदलता, चाहे कुछ भी कर लो।


26. अणजाण की आँगणे मोत।
      अर्थ- अनजान व्यक्ति जो अनजान जगह से सदा डरता रहता है।


27. अणदेक्या ने दोस, जणिको होक वे, ने मोक। 
      अर्थ- जो व्यक्ति किसी निरपराधी को अपराधी बताता है, ईश्वर उसे दंड देता है।


28. अणदेक्यो चोर, हाळा बराबर।
       अर्थ- जिस चोर को हम चोरी करते हुए नहीं देखते या किसी को हम गलत कार्य करते हुए नहीं देखा हो तो वो अपने लिए साहूकार के           बराबर है।


29. अणमाँग्या मोती मले, माँगी मले न भीक।
      अर्थ– बिना माँगे मोती मिल जाते है और माँगने पर भीख भी नहीं मिलती।


30. अणवेती वेवे नी, वेती वे ज्या वेई।
      अर्थ- नसीब़ में लिखा कभी टल नहीं सकता है। जो होनी है, वो तो होकर रहेगी।


31. अणहमज को कुई कोईने, हमजदार की मोत।
      अर्थ– नासमझ अपनी जिम्मेदारी को महसूस नहीं करता है।


32. ईं कान हुणणी, वीं कान निकाळ देणी।
      अर्थ- किसी की बात को सुना – अनसुना करना।


33. अण्ट आयाँ लेवाँ।
      अर्थ– समय आने पर बदला लेना।


34. अतरा ज्योई हतरा।
      अर्थ- जब किसी व्यक्ति को एक काम के साथ में और करने के लिए कह दिया जाए तो वह कर लेता है।


35. काच, मोती, मन ओर नेण धन। अतरा टूट्याँ ने हंदे, पेली राक जतन॥
      अर्थ- काँच का प्याला, नेत्रों के आँसू, मोती और मन इनका रखरखाव करना चाहिए। क्योंकि किसी का मन दुखाकर कार्य करने से                आपका विश्वास नहीं रहता है।


36. अदबेण्डी रांदी खीर, दूद की जगाँ नाक्यो नीर।
      अर्थ- जब कोई होशियार तो बहुत होता है लेकिन काम कुछ नहीं कर सकता।


37. अदभण्यो घरकाँ ने खावे।
      अर्थ– कम पढा – लिखा  आदमी सभी घरवालों को परेशान करता है।


38. अनाड़ी को होदो बारा बाट।
      अर्थ- मूर्ख व्यक्ति का कोई भी कार्य समय पर नहीं होता है।


39. अनोका घर में कटोरी।
      अर्थ- किसी घर में ऐसी वस्तु आ जाती हो जो पहले उस घर में नहीं थी, उसका प्रदर्शन बहुत किया जाता है।


40. अन्‍न ज्याँका पुन्‍न।
      अर्थ- जो आदमी अनाज का पुण्य करता है उसके समान कोई पुण्य नहीं है।


41. अबकई में आडो आवे ज्योई हग्‍गो।
      अर्थ- जो विपत्ति में काम आता है वही अपना सच्‍चा संबंधी होता है।


42. अबाणू की अबाणू, पछे की पछे दीकी रेई।
      अर्थ- जो कार्य अभी करना है उसे कर लेना चाहिए और बाद वाले कार्य को बाद में देखा जाएगा।


43. अबे नस पकड़ई।
      अर्थ- जब किसी शत्रु को परास्त करने के लिए उसकी कमजोरी को पहचानना।


44. अबे स्याणी वेन बेटगी।
      अर्थ- गलती कर के फिर भोला बनकर बैठ जाना।


45. अमरत तो रत्‍ती घणो, जेर मण भर बी कई काम को कोइने।
      अर्थ– अमरत तो रति मात्र भी अच्छा लेकिन जहर मन भर भी क्या काम का।


46. अमरत लागे राबड़ी, दाँत लागे न जाबड़ी। 
      अर्थ- मेवाड़ में मक्‍के के दलिये की छाछ – रबड़ी का नाश्ता अच्छा लगता है।


47. अमरा मरता में हुण्या, धन्ना मांगे भीक। लसमी बई साणा बीणे, आपणे ठंठळ पाळ ठीक।
      अर्थ– दूसरों के देखा देखी अपना नाम नहीं रखना चाहिए।


48. अमल कन तो अमीर खावे कन फ़कीर खावे।
      अर्थ- अफ़ीम को साधारण व्यक्ति नहीं खा सकता, या तो अमीर खाता है या फ़कीर माँग कर खाता है।


49. अमीर की जान प्यारी अन गरीब भलँई मरो।
      अर्थ- गरीब व्यक्ति अमीर व्यक्तियों के लिए कितना भी कष्ट सहन कर लेता है लेकिन कहता नहीं है।


50. अमीर को ओगळ्यो तको गरीब को जेलो वेवे।
      अर्थ- जब कोई अमीर व्यक्ति किसी वस्तु को खराब समझकर फेंक देता है, गरीब उसी वस्तु से अपना काम चला लेता है।

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