51. अमीर पादे तो बादी हरे, गरीब पादे तो वाना आवे।
अर्थ- बड़े लोगों के खराब कार्य भी सही लगते है, लेकिन जब कोई छोटा या गरीब व्यक्ति गलत कार्य करता है तो उसे बढ़ा-चढ़ा कर बताते है।
52. अलक पुरुस की माया, कटे धूप, कटे छाँयाँ।
अर्थ- ईश्वर की महिमा का कोई पार नहीं होता है।
53. अल्ला दमदार अन पेली पार।
अर्थ- किसी कार्य को करने से पहले ईश्वर का स्मरण जरूर करना चाहिए जिससे कार्य आसानी से हो जाता है।
54. अळ – गप वेग्यो।
अर्थ- अचानक कहीं खो जाना या गायब़ हो जाना।
55. अस्यी मेक मारी के पार निकळगी।
अर्थ- मन को गहरी चोट देना।
56. अस्यो कई ढाँकणी में खादो ज्यो ब्याव में वरका वेरी।
अर्थ- जब किसी की शादी में वर्षा हो जाती है तो उसे उलाहना देना।
57. अस्यो कई नार हे ज्यो खाजई।
अर्थ- जब कोई किसी के सामने जाने से डरता है तब उसके भय को दूर करने के लिए कहा जाता है।
58. अस्यो कूटे ज्यो रोबा बी ने देवे।
अर्थ- प्रबल व्यक्ति अत्याचार करके उसको प्रकट भी नहीं होने देता है।
59. अस्यो नाक वाळो योईस हे।
अर्थ- जो अधिक थोथी बातें करता हो।
60. आँक अन कान के कई छेटी।
अर्थ- रिश्तों में किसी प्रकार की दरार नहीं आना।
61. आँक कान के च्यार आँगळ को फरक।
अर्थ– सत्य और झूठ में बहुत अन्तर होता है।
62. आँक को कीड़ो आँक में, ढाँक को कीड़ो ढाँक में।
अर्थ– अमीर को अपने महल में आनन्द मिलता है वही गरीब को अपनी झोंपड़ी में मिलता है।
63. आँक गी तो दन्याँ गी, कान ग्या तो एंकार ग्यो।
अर्थ– आँख से ही संसार है और कान से बहरे को सुनाई नहीं देता है तो उसे अहंकार नहीं होता है।
64. आँक धूंदळी तो मंगरो धूंदळो।
अर्थ- जब आँख में ओट आ जाती है तो पहाड़ भी ओझल हो जाता है।
65. आँक मीच्याँ अंदारो वे।
अर्थ– दुनियाँ की और से तटस्थ हो जाना।
66. आँक्याँ का पड़दा छेटी करणा।
अर्थ- सच सामने लाना।
67. आँक्याँ खुलगी।
अर्थ– अचम्भा करना, आश्चर्य चकित होना।
68. आँक्याँ देकी अन काना हुणी मानणी।
अर्थ- आँखों से देखी हुई और कानों से सुनी हुई बात पर ही विश्वास करना चाहिए।
69. आँक्याँ देकी जूँटी ने वे।
अर्थ– प्रत्यक्ष देखी हुई बात कभी झूठी नहीं होती है।
70. आँक्याँ पे फोबण्या को कई बोज।
अर्थ- अपने घर का व्यक्ति कभी किसी पर बोजा नहीं होता है।
71. आँक्याँ फूटगी।
अर्थ- सब देखते हुए भी गलत कार्य करना।
72. आँक्याँ मीची अन जग अंदारो।
अर्थ- कोई बी गलत कार्य करना जिससे दूसरों का भी डर नहीं रहता हो।
73. आँक्याँ मूँ आन्दो नाम नेणसुक।
अर्थ– आँख से अन्धा नाम नयनसुक।
74. आँक्याँ में आणो।
अर्थ– दूसरों की नजरों में आना।
75. आँक्याँ में गीड पड़े, नाम मीरगाँ नेणी।
अर्थ– आँखें तो नेत्र-मल से लिप्त हैं और नाम मृगनयनी।
76. आँक्याँ में धूळो नाकणो।
अर्थ– आँखों के सामने धोका देना।
77. आँक्याँ में धूळो पड़णो।
अर्थ- गलत कार्य को देखकर भी कुछ नहीं करना।
78. आँक्याऊँ चूक्यो के माल ओराँ को।
अर्थ- असावधानी से वस्तु को कोई दूसरा ले जाता है।
79. आँगणा में बोल्डी ने लगाणी।
अर्थ- ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे हमेशा परेशानी आती हो।
80. आँगणे हूबा को अन झूँट बोलबा को कई थाग।
अर्थ- झूँठ बोलने वाले के कोई सीमा नहीं रहती है, उसी प्रकार जमीन पर सोने के लिए जगह की कोई कमी नहीं रहती है।
81. आँगळी पकड़ताँ-पकड़ताँ कूँचो पकड़णो।
अर्थ– थोड़ा सहारा मिलने पर पूरा अधिकार कर लेना।
82. आटो – हाटो, जिंको ब्याज ने बट्टो।
अर्थ- वस्तुओं की अदला – बदली में कोई खर्चा नहीं लगता है।
83. आँत भारी तो मातो भारी।
अर्थ- पेट में दर्द होता हैं तो सिर दर्द भी होता है।
84. आँदो मारे अड़ंगा, ने राम पादरी।
अर्थ- झूठी प्रशंसा करना।
85. आ बळद मने मार।
अर्थ– बिना मतलब दुश्मनी करना।
86. आई तो राजी ने तो रोजा।
अर्थ- मिला तो खा लेंगें नहीं तो उपवास ही सही।
87. आकई गाम में ढिण्डोरो पीटणो।
अर्थ- किसी बात को पूरा गाँव पहचान जाता है।
88. आकई देस में ठावो।
अर्थ- गलत कार्य करने से सभी जगह पहचाना जाता है।
89. आकी उमर ढाण्डा चराया ओरी कई ने किदो।
अर्थ- उम्र भर कुछ भी मेहनत नहीं करना।
90. आकी रात दळ्यो अन ढाँकणी में भेळो किदो।
अर्थ– काम कम और मेहनत ज्यादा।
91. आकी रात रोया तुई कुई ने मर्यो।
अर्थ- बिना सोचे किसी कार्य को करना।
92. आकुई दन रागण्याँ करणी।
अर्थ- किसी कार्य के लिए बार – बार तंग करना।
93. आक्याँ में धूळो नाकणो।
अर्थ- चौकन्ने रहते हुए भी नुकसान कर देना।
94. आगताँ की देवळ्याँ, धिराँ का नीवाण।
अर्थ- जल्दबाजी वाला व्यक्ति मारा जाता है, जो सोच – समझ कर किसी कार्य को करता है वह उसमें सफल भी होता है।
95. आगती कुमारण नुकऊँ भट्टी खोदे।
अर्थ- जल्दबाजी करना, उतावलापन दिखाना।
96. आगला की बात राकणी।
अर्थ- कोई व्यक्ति अपने सामने किसी बात को करता है तो उसकी बात भी रखनी चाहिए।
97. आगला घरे जावे जदी पाल्ला आद आवे।
अर्थ- जब पहली बार कम कष्ट होता है और बाद में अधिक कष्ट आता है तो फिर पिछला कार्य याद आता है।
98. आगली दाळ गळी कोईने जीं पेल्याँ पाल्ली त्यार।
अर्थ– वर्तमान समय तो खराब चल ही रहा है, और खराब समय आ गया।
99. आगली - पाल्ली कई ने हूजे।
अर्थ- आगे – पीछे कुछ नजर नहीं आता है।
100. आगी तो भू बावळी, पचे खाग्यो बीछू।
अर्थ- पहले से ही किसी काम में अड़चन आ रही थी, फिर और उसमें अड़चन आ गई।
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