एक दाण एक गाम में एक बेण्डो अन बेण्डी रेता हा। बेण्डो रोज काँकड़ मे जातो अन टीण्डका लेन आतो हो अन वींको गुजारो करतो हो। एक दन बेण्डो आयो अन वींकी लुगई ने क्यो आज मने थकेलो आग्यो, ज्यो मारे बाते पाणी ऊनो कर दे, ज्यो मूँ हाँपड़ लूँ। वींकी घर वाळी बेण्डी क्यो के हाँ, मूँ थाँके पाणी ऊनो कर नाकूँ। वीं क्यो के अस्यो करो के वो हाण्डो पड़यो जो अटे लावो वो हाण्डो लेन आयो। पचे क्यो के अबे ईं हाण्डा ने लेन जावो अन कुड़ा मूँ पाणी भर लावो, वो कुड़ा मूँ पाणी लेन आयो। वीं क्यो के अबे ईं हाण्डा ने छुला पे मेलो वीं छुला पे मेल्यो अन क्यो के अबे कई करूँ, वींकी भू क्यो के अबे मइने टीण्डका लगाओ अन ईंने चेताओ, ऊनो वेजावे तो वींने तगारा में कूडन हाँपड़ लो। वो पाणी ऊनो कर नाक्यो अन हाँपड़बा परोग्यो हो, तो हाँपड़बा ने लेग्यो अन वो हाँपड़तो जारयो हो अन केरयो हो के आज तो आरामऊँ हाँपड़ लीदो अन मारो जीव बी होरो वेग्यो। वो वींकी घरवाळी बेण्डी ने केतो जारयो हो, के अस्यान रोज मारे पाणी ऊनो कर देवे तो कतरो हऊ रेवे। बेण्डी क्यो के मने कई जोर आर्यो थाँकाणी आळका लेवो अन जावो अबे हू जावो।

 

परसण -

1. बेण्डो काँकड़ऊँ रोज कई लातो हो?

2. बेण्डो वीं बेण्डी ने घरे आन कई क्यो हो?

3. बेण्डी वाँका नकूँ कई कई मंगाया अन हाँपड़बा की क्यो हो?

ईं केणीऊँ भणबा वाळा मनकाँ ने कई अकल मले लिको—