एक राजा हो, वींका दरबार मे जो कुई मांगबा वाळो आतो, तो वींका मन ने भरणो राजा को नेम हो। एक दाण राज मेल में एक माराज आया। राजा वाँ माराज ने क्यो के मांगो थाँकी कई मरजी हे? माराज वाँका नके एक फोरोक प्यालो हो जीने आगे करन क्यो के राजा ईं प्याला ने होना की मोराँऊँ भर दो। राजा होच्यो के यो तो घणो होरो काम हे। वीं प्याला में होना की मोराँ भेरी तो वो खाली को खालीज रेवे। प्याला ने जतरो भरे उतरो वो खाली वेतो जावे। राजा होच मे पड़ग्या अन माराज क्यो के राजा कई बात कोइने ने भरायो तो मूँ अटऊँ परो जाऊँ, मनक योईस तो केई के राजा आपणो वचन पूरो ने कर सक्या। राजा नके जो बी हो, वो वीं प्याला मे नाक दीदो पण वो प्यालो ने भरायो। गबरान राजा माराज ने क्यो के थाँको यो प्यालो अस्यो-वस्यो प्यालो कोइने। इने भरणो मारा बस की बात कोइने। अणी प्याला को राज मने बताणो पड़े। माराज मळकन क्यो के अस्यी कई अचम्बा वाळी बात कोइने हे। खाली या बातीस हे के ईं प्याला ने मनक का काळजा मूँ बणायो तको हे अन मनक का काळजा ने कुई नी भर सके। धन, पदवी अन ग्यान वींने कतरो बी मल जावे तो बी वो हमेस्याँ खालीज रेवे। अणी हाँच ने, ने जाणे ज्यूँ मनक अतरो गरीब वेतो जार्यो हे। पण मन की मेमा अन सन्तोष ने बदाबा का बाते ज्यो संकळप हो, मन में लीदो हे वींका पेली वीं संकलप ने केवो के मारे भगवान के अलावा मारे कई ने छावे।
प्रसन-1. राजा वी मांगबा वाळा मनक का प्याला ने काँ ने भर सक्या?
2. राजा वीं प्याला ने कींऊँ भरबा लागा?
3. कींका काळजा ने, ने भर सके?
ईं केणीऊँ भणबा वाळा मनकाँ ने कई अकल मले लिको —