एक दाण की बात हे, एक राजा हा, वे मनकाँ पे हत्याचार घणो करता हा, ईं बाते वे खराब हा अन वे जणी गाम का मनकाँ ने लूटता हा, वाँ मनकाँ की बोली लगाता अन वाँको मोल करता हा। राजा गाम एक गाम का मनकाँ ने लूटन लेग्या हा। वाँ मनकाँ में एक मनक अस्यो हो, वो कणी मूँ बी ने दरपतो अन वो कस्यी बी बात ने केणी वेती तो के नाकतो हो। राजा वीं मनक ने उटे ऊबो राक्यो हो अन वाँका मंतर्यां ने क्यो के वे वाँ मनकाँ को मोल बतावे। सब मनक वाँको मोल बताबा लागा। एक मनक वाँका च्यार आना बताया हा। जतरे वीं मनक ने राजा खुद पूँछ्यो, के थूँ घणो हुँस्यार हे मारो मोल बता। वीं मनक वाँ राजा ने वाँको मोल बतायो खाली दो आना राजा ने रीस आगी ही अन वाँ क्यो के थारी मोत आरी हे। दो आना मूँ हेलो मूंगो तो मारो चादरो हे। वीं क्यो के ज्यो मनक चोर, डाकू, उचक्को वेवे, वींको मोल एक आनो बी ने वेवे। राजा की ईं बात मूँ वाँकी रीस फोरी पड़ी अन वाँ वीं मनक ने छोड दिदो हो।