एक मनक समुन्दर में माछळ्याँ पकड़तो हो। एक दाण वो मनक वींका बापू का हण्डे माछळ्याँ पकड़बा ग्यो हो। वीं पाणी में जाळ नाकी ही, के वीं जाळ में एक मीण्डको बान्ने आयो, वीं होच्यो के मीण्डका ने वो कई केरी वीं मनक वीं मीण्डका ने पाचो पाणी में छोड दिदो हो। जतरे वीं पाणी मूँ एक मोट्यार जवान छोरी निकळी, वीं क्यो के थें ईं मीण्डका ने छोड दिदो हो, अणी बाते मारो बाप घणो राजी व्यो। मूँ समुन्दर देवता की छोरी हूँ। अन मारो बाप थारा मूँ ब्याव कराणो छावे। ईं बाते थने मारे लारे मेल में चालणो पेड़ी। वा छोरी वीं मनक ने पाणी में बण्या तका मेलाँ में लेगी, वींको उटे ब्याव करा नाक्यो हो। उटे वो तीन साल तक र्यो हो। वींने घर की हर आबा लागी अन वीं क्यो के अबे मने मारे घरे जाणो हे, ईं बाते मूँ जाऊँ। वीं छोरी वींने एक पेटी दिदी अन क्यो के ईं पेटी ने खोलज्ये मती, काँकी या पेटी थने पाचो आबा को गेलो बता देई। वो मनक पेटी ने लेन गाम में ग्यो, गाम की तो सब चीजाँ बदलगी ही, काँकी पेल्याँ तो खाली काचा घर हा अन अबे हारई जणा के पाका घर वेग्या हा। वो उटे बेटो-बेटो रोबा लागग्यो, जतरे उटे एक बासा आया। वाँने वींका बापू को घर बताबा के बाते क्यो हो, वाँ बासा क्यो के पेल्याँ आज के तीन सो साल पेली अटे एक माछळ्याँ पकड़बा वाळा एक बासा रेता अन वाँको एक बेटो समन्दर में गमग्यो हो। वीं क्यो के वो मूँईस हूँ। अन वो वीं पेटी ने खोल नाकी ही, पेटी ने खोलतई आगे अन्दारो वेग्यो हो अन वो पेल्याँ की सब बाता भूलग्यो अन वो भूडो बी वेग्यो हो?