आँक्याँ
जीव आँक्याँ बना कई काम का कोनी।
बना आँक्याँ जीवाँ ने दिके कोनी।
आँक्याँऊँ मनक ने हव, बुरा की नंगे पड़ जावे।
जणी के आँक्याँ नी वेवे तो वणिने अन्दारो घणो सतावे।
गेला घाटा की खबर नी पड़े खाडा में पड़ जावे।
हुदो कई नजर नी आवे अटनू-वटने टापाँ खावे।
बना आँक्याँ काम नी वेवे भूडापो सतावे।
आँक्याँ वेवे तो हर कोई पूँछे।
आँक्याँ नी वेवे तो कोई रोटी बी नी खवावे।
अणी वाते अणी धरती पे जीवाँ के आँक्याँ जरूरी छावे।