तर्ज– घूमर
नाचे भोळा नाथ, नाचे नंदी गणपत साथ रे,
निरख-निरख ने देके गोराँ, मन ही मन हरसात रे॥
डम – डम बाजे डमरू, बाजे नंदी गण को घूघरो,
माता ने नचावे गणपत-2 वाँको उड गयो लूगड़ो । नाचे॥1॥
साँप गोयरा थर -थर काँपे, यो कई उधम मचायो रे,
भोळा तो नाचे भंग का रंग में, वाँको मन घबरायो रे । नाचे॥2॥
नाचत-नाचत जटा बिकर गई गंगा मुण्‍डे बोली रे,
हात जोड़ यूँ चाँदो बोल्यो, थोड़ा नाचो होले रे ॥ नाचे॥3॥
नाचत-नाचत सुद-बुद भूल्या, बीत्या बरस हजार रे,
तीन लोक का स्वामी विष्णू, गळ पहरायो हार रे ॥ नाचे॥4॥
भूताँ रो भगवान यो तो, ईंने कई ठा रे-2,
पारासर ले नाम हरी को, फिर थने डर काँ रे ॥ नाचे॥5॥