तर्ज- धूप रे धूँवाडे बेगा आवज्यो
धूकाँ धूप रे धूँवाडे़ बेगा आवज्यो,
जोवे - जोवे जातरी बाट रे, दुखिया रा दाता ॥ धूकाँ.
अन्दाता नंगारे डाको लागे रावळे,
अन्दाता हेला रे हाके बेगा बावड़े,
घुड़ला सूँ घर दूरा नायरे, वासक का रूप ॥ धूकाँ॥1॥
धूकाँ भोपा हजुर्या धूपाँ खेरिया,
दाता गोळ्या बेळ्या रे धोकाँ देरिया,
खम्मा खम्मा लागी जे जेकार रे, धूंबा रा धणी ॥ धूकाँ॥2॥
सगती चण्डी चेतन हे धूप्या मायने,
अन्दाता अगनी हंपाड़ो धाणिया आयने,
अमल्याँ हुका री मनुहार रे, फोजा रा नायक ॥ धूकाँ॥3॥
जामी जमलो जगावाँ थारे जोत रे,
जामी कर रे धाकल रमो चूँतरे,
घूघरा की गेरी घमरोळ रे, ठाणा रा ठाकर ॥ धूकाँ॥4॥
अन्दाता जरकस रो जामो अंग सोवणो,
अन्दाता केसरियो पेंचो रंग मोवणो,
छल्ला पे मोत्याँ रो जड़ाव रे, हिन्दवाणी राजा॥ धूकाँ॥5॥
धूकाँ कमरयाँ तलवारा, ढालाँ ढळके,
भुजा पे भँवरयो भालो रे हाताँ भळके,
मळके मळके हिया बचेहार, रे सगती रा पायक ॥ धूकाँ॥6॥
अन्दाता दुखिया रा दोखा काटो आयने,
अन्दाता रोग्याँ रा रोग काडो जाड़ने,
बांझा ने पालणिया बंधाय रे, "भेरया" रा मालक ॥ धूकाँ॥7॥