तर्ज धूप रे धूँवाड़े
हालाँ-हालाँ गुराजी रा देस में, अगम भोमा में उगा भाणरे आँतम उजाळा,
चालाँ-चालाँ हीरा रा देस में॥
नज नेम रे नंगाड़े डाको लागियो,
भय भव रो भरम भूत भागियो,
पायो परेम ग्यान गुराँ रा छाणरे परा पियाळा ॥हालाँ॥1॥
झिळमिळ-झिळमिळ जरोखा जटे राजणो,
अणहद गोका मोका में नोपत गाजणो,
वटे आलम राजारो निसाणरे, उडे धजियाळा ॥ हालाँ॥2॥
सुरताँ नुरताँ हजुराँ उबी हाजराँ,
सिदियाँ निदियाँ होकम सादे राजरा,
हुकमा पे चाले चंदा भाण रे, अन्दर बरसाळा ॥ हालाँ॥3॥
तिरगुण देवाँ उतारे अलक आरती,
सन्ध्या सुकमण आ सेजाँ संवारती,
संखाँ ढुळावे समदाँ आण रे, नंदिया नाळा ॥ हालाँ॥4॥
नाचे पातुर चराचर संसारिया,
खम्मा खम्मा करे रे जय जयकारिया,
"भेरिया" रोकर दीनो कलियाण रे, गुरां हरियाळा ॥ हालाँ॥5॥