तर्ज-दूधा रे रंग धन पूताँ ने रंग
हरिया के चढे हाके, हेले आवे दोड़, धन-धन कल्याण रंग कल्ला राठोड़॥
हेलो दियो रे थाँने मेवाड़ी राणा,
परवाणो भणता ही घुड़ला पलाणा,
चढिया रे बार माथे बंधिया ही मोड़ ॥ धन ...॥1॥
चित्तोड़ चढिया ने अड़िया ने लड़िया,
दुसमण री फोजाँ में कुदी ने पड़िया,
जूँक्या रे जूँक्या काका भतीजा री जोड़ ॥ धन...॥2॥
मायो देय मावड़ ने वचना पे आविया,
मुण्ड हीन रूण्ड लेय आया रुण्डेळिया,
सूराँ सतियाँ री धरती रळियावणी ठोड़ ॥ धन॥3॥
परगट परच्या दे दीदा उपकारी,
गणी खम्मा खम्मा सेसा अवतारी,
पूना लेवे रे जामी गेमरां री ओड ॥ धन॥4॥
देसाँ परदेसाँ में डाको तिहारो,
सेवक सब सरणे आया देय नंगारो,
किरता गावे रे "भेरव" बामण गुजर गोड़ ॥ धन॥5॥