निले गगन के तळे
निले गगन के तळे, उड हनुमान चले॥२॥
दिनी खबरिया, डाली मुंदड़ियाँ, वरक्स असोक तळे - - -।
निले गगन के तळे॥
बाग उजाड़ा, अक्स पछाडा, दानव दळ को दळे - - - ।
निले गगन के तळे॥
सभा में जाई, आग लगाई, चराचर लंक जळे।
निले गगन के तळे॥
समन्दर पारा, पदम अठारा, खळदळ लंक चले - - - -।
निले गगन के तळे॥
मन मत मचळे, ‘भेरव’ भजले लाखो विघन टळे - - - -।
निले गगन के तळे॥