एक दाण सरग मूँ एक देवता धरती का मनकाँ के मन की छावना पूरी करबा आया। वाँ मनकाँ ने क्यो के थाँका मन में ज्यो बी छावना वेवे, ज्यो थाँ मने को, मूँ थाँकी वो आसा पूरी केरूँ। थोड़ीक देर में तो वटे मनकाँ की खूब भीड़ ऐगटी वेगी। हारई मनक वाँका मन की आस पूरी करबा के बाते देवता के हामें आग्या। कुई ठाट-बाट माँग्या, तो कुई धन माँग्यो, कुई मोटो पद माँग्यो, तो कुई हऊ हण्डाळी माँग्यो, कुई तो आपणा मन की आस माँगी। देवता एक-एक करन हाराँकी मन की आसा पूरी कीदी। ईंका केड़े वाँकी नजर एक मनक पे पड़ी, जो माँग खाबा वाळो हो। वो एक खुणा मे हात जोड़न ऊबो हो। देवता ने अचम्बो व्यो, यो मनक मारा नके मन की आसा माँगबा ने ने आयो। देवता वीं मनक ने वाँके भड़े बलायो अन क्यो के, बेटा! थूँ बी ज्यो छावे वो माँग ले। वीं मनक क्यो मारी माँग तो फोरीक हे! मनकाँ थाँका नकूँ धन माँग्यो वाँको ठिकाणो मने बता दो, ज्यो मारा मन की आस पूरी कर लेऊँ। देवता अचम्बा में आन पुच्यो, के आकिर में थूँ हे कुण? वीं मनक क्यो के मूँ तो माँग खाबा वाळो हूँ अन खराब धन नें भेळो करबा की मारी आदत हे, भगवान।
परसण-
1. देवता उटे मनकाँ ने कई क्यो हो?
2. वाँ मनाका नकूँ कई-कई माँग्यो?
3. वो माँग खाबा वाळो मनक कटे ऊबो हो?
ईं केणीऊँ भणबा वाळा मनकाँ ने कई अकल मले लिको-