Skip to main content

काळो घणो रुपाळो खो, गडावोरिया वाळो रे।
श्री चार भुजा को नाथ चतुर्भुज माळा वाळो रे-टेर
सिर पर सोहे मुकुट मनोहर, कुन्डळ की छबी न्यारी रे
निलो वस्त्र पिताम्बर सोहे, बागा री हद मारी रे
जलमल 2 तुर्रो, मळके माळो रे श्री चार भुजा को - - - - - -॥
कडी जड़ाऊ थोर काना, सोना रा तो गहना रे -२
मन मनोहर माळा मुस्काये नेणा थारा मोटा रे -२
अधर धरी मुरली तो राजे, छेल छोगाळो रे -
श्री चार भुजा को - - - - -।
कड़ा नेवरी कमर कन्दोरा, पग पायळ झाँजरिया रे -२
चाल जळकती हिये हळकती, सोच रे साँवरियाँ रे -२
छन्नी चवर तो सिर पे साजे, लागे माळो रे-
श्री चार भुजा को - - - - - -।
सेज पालकी राम रेवाड़ी, चाँदी जडियो चोक रे -२
ग्यारस झुले बेट सावरो, दंन्या दरसण आवे रे -२
थाळी मादळ गेरी बाजे, घणो नकराळो रे-
श्री चार भुजा को - - - - -।
सॉवळ सेठ कळू मे गाज्यो, दिज्ये थोड़ो जेलो रे -२
कह ‘भेरव’ सुन भण्डार वाळा, सुणज्यो मारो हेलो रे
भोळा ढ़ाळा भक्ता को तो, राम रुकाळो रे-
श्री चार भुजा को - - - - -।

Tags